@@@@@@@ बेटियाँ @@@@@@@@
संयोग को सौभाग्य में, बदलती है बेटियाँ |
सुसराल के साँचे में , ढलती है बेटियाँ ||
मत कोसो अज्ञानी लोगो ,बेटी के माँ -बाप को ,
धन्य है वो घर आँगन ,जहाँ पलती है बेटियाँ ||
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दो कुनबों को आपस में , जोड़ती हैं बेटियाँ |
अपनी जीवन धारा को , मोड़ती हैं बेटियाँ ||
मत भूलो घमण्डी मर्दों,बेटी के महात्याग को |
अपने प्रिय पितृ घर को ,छोड़ती है बेटियाँ ||
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जरा से दुलार से ,बहलती हैं बेटियाँ |
माँ -बाप के कहने में ,चलती हैं बेटियाँ |
मत कोसो लालची लोगों ,सृष्टि की श्रेष्ठ रचना को ,
बहार बन के खिलने वाली,क्यों खलती हैं बेटियाँ ||
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