@@@@@ अगर अस्तित्व ईश्वर का होता @@@@@
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ईश्वर होते अगर जगत में ,तो क्या कुकर्म कोई करने देते ?
तीर्थ यात्रा की दुर्घटना में , भक्तों को क्या वो मरने देते ??
चोरी नहीं होती मन्दिरों में , न होता कहीं पर दुराचार |@@@@@ अगर अस्तित्व ईश्वर का होता @@@@@
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ईश्वर होते अगर जगत में ,तो क्या कुकर्म कोई करने देते ?
तीर्थ यात्रा की दुर्घटना में , भक्तों को क्या वो मरने देते ??
चोरी नहीं होती मन्दिरों में , न होता कहीं पर दुराचार |
लूट-खसोट नहीं करते पण्डे,न होता जग में अत्याचार ||
नहीं हादसा होता कोई , और न होता यहाँ कोई रोगी |
हिलमिल रहते सारे जग में,क्या गृहस्थी क्या जोगी ||
अणुबम्ब से ज्यादा क्षति ,हुई है "ईश्वर" की खोज से |
मजदूर बिचारे दुःख पाते हैं , पर पण्डे रहते मौज से ||
कृष्ण अगर ईश्वर होते तो , महाभारत नहीं होने देते |
ब्रेनवाश अर्जुन की जगह , वो दुर्योधन का कर देते ||
ब्रेनवाश की जरुरत न पड़ती ,उसका भी मन निर्मल होता |
मेरा मन मुझसे बोला ,अगर अस्तित्व ईश्वर का होता ||
किसी पिता को शौक नहीं होता , कि लड़ता देखे निज बच्चों को |
क्या परमपिता को शौक है ऐसा,कि भिड़ा रहा है अच्छे-अच्छों को ?|
कोई पिता नहीं देता छूट ,अपने बच्चों को लड़ मरने की |
परमपिता भी नहीं देता छूट ,झगड़े-फसाद करने की ||
परमपिता अगर होता तो ,काम जरूर वो यह करता |
कि सदबुध्दि-सदविचारों को ,सबके मन में वो भरता ||
बस उसके इस एक काम से , यह संसार स्वर्ग बन जाता |
और सबूत ईश्वर के होने का , तब हर कहीं पर मिल जाता ||
ईश्वर का अस्तित्व होता तो , सबके मन निर्मल होते |
संसार में सुख -शान्ति होती ,बेटे का शव बाप न ढोते||
झूठ पर आधारित हो जो , मत सुनो उस उपदेश को |
सही लगे अगर ये बातें ,तो याद करे इस दुर्गेश को ||
लूट-खसोट नहीं करते पण्डे,न होता जग में अत्याचार ||
नहीं हादसा होता कोई , और न होता यहाँ कोई रोगी |
हिलमिल रहते सारे जग में,क्या गृहस्थी क्या जोगी ||
अणुबम्ब से ज्यादा क्षति ,हुई है "ईश्वर" की खोज से |
मजदूर बिचारे दुःख पाते हैं , पर पण्डे रहते मौज से ||
कृष्ण अगर ईश्वर होते तो , महाभारत नहीं होने देते |
ब्रेनवाश अर्जुन की जगह , वो दुर्योधन का कर देते ||
ब्रेनवाश की जरुरत न पड़ती ,उसका भी मन निर्मल होता |
मेरा मन मुझसे बोला ,अगर अस्तित्व ईश्वर का होता ||
किसी पिता को शौक नहीं होता , कि लड़ता देखे निज बच्चों को |
क्या परमपिता को शौक है ऐसा,कि भिड़ा रहा है अच्छे-अच्छों को ?|
कोई पिता नहीं देता छूट ,अपने बच्चों को लड़ मरने की |
परमपिता भी नहीं देता छूट ,झगड़े-फसाद करने की ||
परमपिता अगर होता तो ,काम जरूर वो यह करता |
कि सदबुध्दि-सदविचारों को ,सबके मन में वो भरता ||
बस उसके इस एक काम से , यह संसार स्वर्ग बन जाता |
और सबूत ईश्वर के होने का , तब हर कहीं पर मिल जाता ||
ईश्वर का अस्तित्व होता तो , सबके मन निर्मल होते |
संसार में सुख -शान्ति होती ,बेटे का शव बाप न ढोते||
झूठ पर आधारित हो जो , मत सुनो उस उपदेश को |
सही लगे अगर ये बातें ,तो याद करे इस दुर्गेश को ||