@@@@@@@@एतराज किन्नरों का@@@@@@@@
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विश्व किन्नर सम्मलेन में ,किसी किन्नर ने एक बात कही |
लगी थी जो अटपटी सबको ,पर थी वो बिलकुल सही ||
हम सब छक्के है कुदरत के मारे ,नहीं बन सकते हम जीवनसाथी |
बकसीस पर गुजर करतें हैं हम ,नहीं हमारा कोई पूत या नाती ||
कायर राजनेता को भी क्यों ,किन्नर भला कहा जाता है |
कायरता की नामर्दी से, हमारा भला क्या नाता है ||
हम तो ताली बजातें खुद ही ,पर वे ताली बजवाते हैं|
हम लेतें बधाई जन्म पर ,पर वे तो कफ़न खा जाते हैं ||
हमारी उनसे क्या बराबरी ,जो नंबर दो के छक्के हैं |
जमीर जान से मार जिन्होंने ,ईज्जत के कर लिये टक्के है||
हम तो केवल तन से छक्के ,वे तो मन से छक्के हैं|
हरामखोरी है पैशा जिनका ,पर दुश्मन देश के पक्के हैं ||
कथित सरकारी छक्कों ने , जनता के छके छुडाये है |
और गरीब लोगो की दाल रोटी पर , अपने दांत गडाए हैं ||
सत्ताधारी कथित छक्कों ने ,जनता को पूरा छका दिया |
और देशभक्त लोगो को , धोखा और धक्का दिया ||
हड़प रहा है जमीन हमारी ,चीन अजगरी ताकत से|
कायर राजनेता की अनदेखी से ,लम्पट खेले अस्मत से ||
हम तो हैं कुदरत से छक्के ,पर इन ठग छक्को से छक गए |
लूट रहे हैं जो देश को ,वो उलजलूल भी बक गए ||
सत्तासीन इन कथित छक्कों ने ,हमारी कौम को बदनाम किया |
न्यात बाहर करो उस हर नेता को ,जिसने जीना हराम किया ||
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