@@@@@@ पपीहा बोले पीहू-पीहू @@@@@@
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जान लिया जीवन का सार ,लोग कहते हैं इसको प्यार |
सार बहुत ही गहरा है ,जिस पे हो गये सभी निसार ||
क्यों बचे फिर मैं और तू ,पपीहा बोले पीहू पीहू |
बसन्त की बहारों में,सावन की फुवारों में |
गाने वाले गाते गाते हैं ,उमंग उठती कुंवारों में ||
झूमें गाएँ मैं और तू ,पपीहा बोले पीहू पीहू |
जो भी हमने पाया है ,प्यार की सब माया है |
कहने वाले कहते हैं ,नशा प्यार का छाया है ||
मौज मनाएं मैं और तू ,पपीहा बोले पीहू पीहू |
प्यार की इन राहों में ,प्रियतम की प्यारी बाँहों में |
खोने वाले खोते हैं ,कुर्बान होते चाहों में ||
छूते एक दूजे की रूह ,पपीहा बोले पीहू पीहू |
बसंत की जब ऋतु आती ,मीठे स्वर में तू गाती |
मैं दीपक और तू बाती ,प्यारा मौसम बरसाती ||
ज्योति जलाएं मैं और तू ,पपीहा बोले पीहू पीहू |
रूह हमारी सुख पाती ,प्यार हमारा करामाती |
जब जब खुशियाँ घर आती ,मैं नाचता और तू गाती||
धूम मचाएँ मैं और तू पपीहा बोले पीहू पीहू |
उन्नति की राहों में ,कांटें चुभतें पावों में |
रुकने वाले रुकते हैं ,तू ना रुकना छांवों में ||
गाना सुर में तुरु तुरु ,पपीहा बोले पीहू पीहू |
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