@@@@@ हम सच्चाई कहते हैं @@@@@
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झूठ के इस दौर में भी ,हम सच्चाई कहते है |
इसलिए हर जन की ,रुसवाई हम सहते है ||
हम गुमराह लोगों को ,सन्मार्ग दिखाते हैं |
इसलिए हमने उनसे ,तन्हाई ये पायी है ||
अपने हर हमराही से,हम वफ़ा ही निभाते हैं |
इसलिए हमने उनसे ,बेवफाई यह पायी है ||
जो गलत है उसको ,हम गलत ही कहते हैं |
इसलिए वाह -वाही ,हमने नही पायी है ||
कलमुंहे सफ़ेद पोशों को ,हम आईना दिखाते हैं |
इसलिए गुमनामी की ,ये सजा हमने पायी है ||
सज्जन समझ जिस जिस को,हम नमन करते हैं |
दुर्गेश उसने ही क्यों ,अपनी औकात बतायी है ||
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