@@@@@ हमारे प्यारे बाबूजी @@@@@
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सीधे -सादे ,गौरे -नाटे, मितभाषी थे बाबूजी |
थोड़े में संतुष्ट रहने वाले ,थे हमारे बाबूजी ||
थे अपनी धुन के पक्के ,गृहस्थ-साधू थे बाबूजी |
अपने सभी अनुजों के , पितृ-तुल्य थे बाबूजी ||
बहू को भी बेटा समझा , ऐसे उदार थे बाबूजी |
घड़ी-घड़ी याद आने वाले,घड़ीसाज मेरे बाबूजी ||
बच्चों से लेकर बड़ों तक ,सबके प्यारे बाबूजी |
"कबाड़ से जुगाड़" करते,दुनिया से न्यारे बाबूजी ||
रुढियों के थे विरोधी , आर्यसमाजी थे बाबूजी |
कष्टों की अग्नि में तपकर,कुन्दन बन गये बाबूजी ||
जैसे बाहर वैसे भीतर ,निर्मल-हृदय थे बाबूजी |
ईमान की रोटी खानेवाले , थे हमारे बाबूजी ||
दुःख नहीं दिया किसी को,परोपकारी थे बाबूजी |
स्वर्ग जैसा घर बनाकर , स्वर्ग सिधारे बाबूजी ||
आशीर्वाद रहा हम पर , सदा आपका बाबूजी |
दामाद-पुत्र दुर्गेश आपको,करता याद बाबूजी ||