@@@@@@@@ वाह रे तर्क वीर @@@@@@@@
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एक वकील गया एक दिन ,मिठाई की दूकान पर |
रहते हैं कोरे कुतर्क , जिसकी बद जुबान पर ||
पूछा था उसने हलवाई से ,कि रसगुल्लों का क्या भाव है |
हँस कर बोला हलवाई ,जिसका सरल स्वभाव है ||
किलो के रुपये सौ लगेगें , अगर खाने का चाव है |
वकील बोला किलो दे दो , अगर यही इनका भाव है ||
एक किलो रसगुल्ले लेकर,वकील ने दिमाग लगाया |
पूछा भाव गुलाब जामुन का ,तो भाव एक ही पाया ||
रसगुल्ले वापस देकर उसने , गुलाब जामुन ले लिये |
चल पड़ा वो वकील वहाँ से , बिना उनका दाम दिये||
मुफ्त मिठाई लेकर जब ,वो चार कदम चल पड़ा |
हलवाई ने पैसे माँगे, तो वकील उस पर पिल पड़ा ||
वकील बोला किसके पैसे , दूँ भला मैं आपको ?
हलवाई बोला गुलाब जामुन के ,क्या बुलाऊँ मैं तेरे 'बाप'को ??
वकील बोला गुलाब जामुन तो ,रसगुल्लों के बदले लिये हैं |
तो हलवाई बोला रसगुल्लों के ,पैसे भी तो कहाँ दिये हैं ?|
वकील बोला रसगुल्ले तो ,मैंने लौटा दिये थे |
जवाब न सुझा हलवाई को तो,गम के आँसू पिये थे||
कुतर्कों के बलबूते पर , जो करते हैं बेईमानी |
आओ ऐसे लोगो को हम ,याद दिलाएं नानी ||
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