@@@@@@@ प्यार के अजीब रंग @@@@@@@
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समझ में दम हो तो ,हर समस्या का हल निकल जाता है |
प्यार में चरम आँच हो तो ,पत्थर दिल भी पिघल जाता है ||
रही होगी कोई मजबूरी तेरी दिलरुबा की कोई ,
वरना चाहत के चरम में तो ,हर मित मिल जाता है ||
पीला चश्मा हो आँखों पर ,तो धूप भी नजर आती है पीली |
बरसात का मौसम हो तो ,हर वस्तु हो जाती है सीली ||
दिल में छाया हो यदि प्यार का बसन्त,
तो मुरझायी कली भी नजर आती है खिली ||
प्यार का सागर उमड़ रहा हो तो बातें नज़रों से हो जाती है |
बात करने लगे प्रेमी जोड़ा ,तो बातें ख़तम नहीं हो पाती है ||
अजीब है मोहब्बत और मोहब्बत की फितरत ,
हो जाय अगर किसी से ,तो दुनिया हसीन हो जाती है ||
सामने बैठा हो महबूब तो समय ठहरा लगता है |
प्यार हो दिल में तो हर रंग गहरा लगता है ||
कितनी आजाद है मोहब्बत और मोहब्बत की फितरत ,
कि उसे नागवार हर पहरा लगता है ||
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