@@@@@@ तेरे प्यार के धोखे में @@@@@@
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मैं भूला घर - परिवार ,तेरे प्यार के धोखे में |
सच की ठोकरे थी खायी ,पर अकल मुझको नहीं आयी |
पर अकल मुझको नहीं आयी , तू मेरे पर थी छायी ||
मुझे जीवन लगा था गुलजार ,तेरे प्यार के धोखे में |
मैं भूला घर - परिवार ,तेरे प्यार के धोखे में ||
मैं खोया - खोया रहता था ,मैं अधसोया -सोया रहता था |
मैं अधसोया -सोया रहता था ,मैं खोया - खोया रहता था ||
मैं बन गया "सेवादार" ,तेरे प्यार के धोखे में |
मैं भूला घर - परिवार ,तेरे प्यार के धोखे में ||
मैं "दानवी" को "देवी" मान बैठा,मैं"व्यापार" को प्यार जान बैठा |
मैं"व्यापार" को प्यार जान बैठा,मैं"दानवी" को "देवी" मान बैठा ||
मेरा बदला सब संसार ,तेरे प्यार के धोखे में |
मैं भूला घर - परिवार ,तेरे प्यार के धोखे में ||
मैं "दीवान"से दीवाना बन बैठा ,मैं "मन्त्री" से "संतरी"बन बैठा |
मैं "मन्त्री" से "संतरी"बन बैठा,मैं "दीवान"से दीवाना बन बैठा ||
मेरा बदला सब व्यवहार ,तेरे प्यार के धोखे में ||
मैं भूला घर - परिवार ,तेरे प्यार के धोखे में |
मैंने जितना तुझे सम्मान दिया ,तूने उतना मेरा अपमान किया |
तूने उतना मेरा अपमान किया ,मैंने जितना तुझे सम्मान दिया ||
मेरा जमीर बोला धिक्कार ,तेरे प्यार के धोखे में |
मैं भूला घर - परिवार ,तेरे प्यार के धोखे में ||
अब तूने औकात बतायी है ,तो अकल मुझको आयी है |
अब अकल मुझको आयी है,जब तूने औकात बतायी है||
मैं पछताया बारम्बार , तेरे प्यार के धोखे में |
मैं भूला घर - परिवार ,तेरे प्यार के धोखे में ||