@@@@@@ हिंदुस्तान तब और अब @@@@@@
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सुनो कहानी तुम साथियों ,भारत के स्वाभिमान की |
कितनी इज्जत थी दुनिया में ,हमारे हिन्दुस्तान की ||
न कोई यहाँ दास था ,न कोई उदास था |
संत और सज्जनों का, पावन यहाँ वास था ||
चौड़ी होती माँ की छाती ,हुनर उनका देख कर |
करेंगे वे नाम रोशन ,उसे ये विशवास था ||
धन, बुध्दि,बल ,कला का ,खजाना हिन्द के पास था |
दुनिया के देशों में ,इसका रुतबा खास था ||
कौन शिकायत करता यहाँ ,भला कोई किसकी |
हर हिन्दुस्तानी दिल में ,प्यार का उजास था ||
याद करो फिर कहानी तुम ,उस भारत स्वाभिमान की |
कितनी इज्जत थी दुनिया में ,इस देश हिंदुस्तान की ||
कोई नारी पन्ना थी ,तो कोई नारी हीर थी |
इस देश को जीत पाना बहुत टेढ़ी खीर थी ||
गद- गद थी माँ भारती ,प्यार सबका देख कर |
सिर काट पति को सौंपा ,नारी भी ऐसी वीर थी ||
विश्व - गुरु का ख़िताब अनूठा ,इस देश के पास था |
सत्य, शान्ति, समृद्धि के संग ,ईमान का उजास था ||
कौन करता निंदा यहाँ ,कोई भला किसकी |
हर हिन्दुस्तानी दिल में ,ज्ञान का प्रकाश था ||
याद करो फिर कहानी तुम ,उस भारत स्वाभिमान की |
कितनी इज्जत थी दुनिया में ,हमारे हिंदुस्तान की ||
अब कोई खींचे चुन्नी को तो ,कोई लूटे मुन्नी को |
मिल जाती है बेल यहाँ ,मासूमों के खूनी को ||
शर्मसार हो रही भारती ,दुष्कर्मों को देख कर |
काटे अब कौन यहाँ ,हैवानों की नूनी को ||
चोर डाकू और गुण्डे,सब नेताओं के ख़ास हैं |
विरोध करने वालों का, हो जाता यहाँ नाश है ||
कौन शिकायत करे भला ,कोई अब इनकी |
सारे हथकण्डे जब , नेताओं के पास है ||
भूल जाओ अब तुम कहानी ,उस भारत स्वाभिमान की |
कैसी दशा हो गयी देखो, इस देश हिन्दुस्तान की ||
देश पर कुरबान होने वाले सरदार सुन ,
खूब रंग जम गया है देश के दलालों का |
लूट मची है पूरे देश में ,
कौन हटाये राज इन देशी अंग्रेज कालों का ||
जान कुरबान की तुमने जिस पर ,और जगाया था जो देश |
वो मुल्क बन गया है जुर्म और कुचालों का ||
जल्दी से जल्दी अरबपति बनने की दौड़ में शामिल है नेता |
कोई पालक है गुंडों का ,कोई गुरु है घोटालों का ||
किसको परवाह है अब यहाँ पर ,कानून और संविधान की |
कैसी दशा हो गयी देखो ,इस देश हिंदुस्तान की ||
भ्रष्टाचार फैला है पूरे देश में ,पर ईमान कहीं नहीं मिलता|
तड़पती रहती अबला कोई ,पर देख अब कलेजा नही हिलता ||
तोड़ देते है दिल दंगो में ,पर दिलों के घाव अब कोई नहीं सिलता |
बहस करते नेता रोजाना ,पर समाधान कोई नहीं मिलता ||
उड़ा रहे हैं वे रोज धज्जियाँ ,कानून और संविधान की |
कैसी दशा हो गयी देखो ,इस देश हिन्दुस्तान की||
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