@@@@@मैं भारत का आम आदमी@@@@@
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मैं भारत का आम आदमी,धीरे-धीरे जाग रहा हूँ |
हे हिन्द के प्रधान सेवक, उत्तर तुम से माँग रहा हूँ ||
बहुत गरजे थे भाषणों में , मैं भ्रष्टाचार भगा दूँगा|
सुधर जायेंगें बेईमान सारे,ऐसा खौप जगा दूँगा ||
डींगें मारी बढ़-चढ़ के ,जनता को मोहित कर दिया |
अच्छे दिनों का वादा करके ,दिल देश का हर लिया ||
सौ दिन कभी के बीत चुके ,काला धन क्यों आया नहीं ?.
क्यों बेईमानों के दिलों में ,खौप जरा भी छाया नहीं ??
परम सत्ता पाने के खातिर,वाणी में जहर घोल दिया |
जो आपके दिल आया ,जुबाँ से कैसे बोल दिया ??
नीच राजनीति के कीचड़ में ,क्यों घसीट रहे हो देश को ?
क्यों झोंक रहे पापयुध्द में ,शान्ति प्रिय देश-प्रदेश को ??
करोड़ों रुपयों के बंगले में ,खुद तो ठाठ से रहते हो |
त्याग कर मासूम पत्नी को ,खुद को त्यागी कहते हो ||
शादी कर छोड़ा पत्नी को ,बताओ उसकी क्या गलती थी ?
मना क्यों नहीं किया शादी से,क्या जुबाँ तब नहीं चलती थी ??
न्यौत बुलाया दुश्मन को भी ,पर पत्नी को क्यों भुला दिया?
उसकी त्याग- तपस्या का ,ऐसा भी क्या सिला दिया ??
जब हक़ नहीं दिया पत्नी को , तो दूजों को क्या हक़ दोगे ?
जब जैसा जी में आया ,बस उल्टा -सुलटा बक दोगे ||
त्यागना था तो क्यों नहीं त्यागा,वाणी की कटुता का दोष ?
कहाँ गुम हो गया तुम्हारा ,छप्पन ईन्ची छाती का जोश ??
तुम्हारी देह के रोम-रोम से,अहंकार गजब का फूट रहा |
तुम्हारे चुनावी भाषण से , प्रेम देश का टूट रहा ||
पति धर्म नहीं निभाया ,तो राज धर्म क्या निभाओगे ?
काले धन के पन्द्रह लाख ,कब तक जमा करोगे ??
चौकीदार बताते खुद को, पर सूट पहनते सोने का |
क्या फायदा तुम्ही बताओ ,पी.एम. तुम्हारे होने का ??
पर नारी से हाथ मिलाते ,पर पत्नी से नहीं करते बात |
कैसे याद नहीं आते तुम को ,शादी के वे फेरे सात ??
पर नारी को कीमती साड़ी , पत्नी ढोती घर की गाड़ी |
बढ़ गया है खर्चा उसका,सुरक्षा कर्मी जब लगे पिछाड़ी ||
सुशासन की बात करते हो ,जाम कर दी गृहस्थी की गाड़ी |
पति धर्म नहीं निभाना ,क्या बात नहीं है मादी ??
मैं भारत का आम आदमी,धीरे-धीरे जाग रहा हूँ |
हे हिन्द के प्रधान सेवक, उत्तर तुन से माँगरहा हूँ ||
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