रिश्वत खोरी पर व्यंग करती कविता -लूट की छूट
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लूट कर यात्रियों को लूटेरों ने ,लौटा दिया सारा धन -माल |
सोचने लगे यात्री सारे ,क्या है यह कोई इनकी चाल ?|
डर रहे थे सब यात्री ,पर एक बालक बोला करते खाज |
डाकू सर प्लीज बताओ , इस दया का क्या है राज ?|
डाकू बोला ,यह दया नहीं है ,यह है रिश्वत का सवाल |
हर लूट पर हमें देने पड़ते ,थाने में रुपये लाख तत्काल ||
इस लूट से हमें मिले थे , नगदी सिर्फ पचास हजार |
लूट की खबर छपती तो , घाटे का हो जाता भार ||
कैसे करते हम घाटे का सौदा ,सो लौटा दिया सारा धन -माल|
सुन कर सन्न रह गए सारे ,घूसखोर पुलिस का हाल ||