@बाला से पड़ा पाला@
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एक चुलबुली बाला से ,
पड़ा हमारा पाला है |
हालांकि उसने अब तक ,
घास हमें नहीं डाला है ||
उसके ठौर -ठिकाने का ,
हमने पत्ता लगाया है |
मिलने के हर मौके को,
हर बार उसने टाला है ||
हुस्न के फंदे में उसने ,
हमें ऐसे फंसाया है |
कि भाई उस बाला का अब ,
लगने लगा साला है ||
इश्क की खुमारी में ,
हम तो खूब बौराए हैं |
मदहोशी के आलम में ,
वो लगती मुझ को हाला है ||
उसके हुश्न के जादू ने ,
हम पे गजब ढाया है |
सभी कन्या मित्रों में ,
वो लगती मुझको आला है ||
मोती जैसे दांत हैं उसके ,
और कंचन जैसी काया है |
नीली सी आँखों पर उसने ,
चश्मा पहना काला है ||
उस पर लिखा गीत हमने ,
महफ़िल में खूब गाया है |
वो बीस वर्ष की मासूम बाला,
हुश्न की मानो खाला है ||
राज उसकी चुप्पी का ,
नहीं समझ में आया है |
दिल में है प्यार का सागर ,
पर मुंह पर लगा ताला है ||
हम करने लगे हैं प्यार उससे ,
हमने उसे ये बताया है |
नन्दन की नादानी से ,
पड़ा जिसका पाला है ||