@@@@@हमारे अरमां आंसुओं में बह गये @@@@@
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रोमांस की हमारी जवां उम्र में,दिलरुबा की जगह थी खाली |
पर न जाने क्यों किसी बाला ने , हमको घास न डाली ||
हुस्न देख कर एक बाला का, प्यार हमको हो गया |
दिल हमारा उसी दिन से ,ख़्वाबों में उसके खो गया ||
कुंवारी कन्या समझ कर ,हम पीछे उसके पड़ गये |
आखिर एक दिन हमारे नैना ,उसके नैना से लड़ गये ||
खूब लूटाया पैसा उस पर ,और देखने लगे हसीन ख्वाब |
रहने लगे ठाठ से ऐसे ,जैसे हो हम कोई नवाब ||
समझ उसे अपनी महबूबा ,हम बगोबाग़ हो गये |
घर आने का निमन्त्रण पाकर ,कल्पना में खो गये ||
घर पहुँचे जब हम उसके ,तो हक्के बक्के रह गये |
सच लगने लगी वो बातें ,जो सयाने सज्जन कह गये ||
मामा कह कर लिपटा हमसे ,उसका प्यारा बच्चा |
आसमान से गिर पड़े हम ,खाया ऐसा गच्चा ||
बड़े से बड़ा दुःख जिन्दगी में ,हम सख्ती से सह गये |
पर इस घटना से हमारे अरमां ,आंसुओं में बह गये ||
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