शायरी कला का वो फन है जो कम शब्दों में बड़ी से बड़ी बात कह देती है। एक बात को सोचने के कई तरीके बता सकती है। इतना ही नहीं अरसों से अटके सवालों का जबाव भी दे सकती है।
शायरी लिखने वालों ने किस चीज़ पर लिखने से शुरुआत की इस पर कई मतभेद हैं लेकिन ज्यादातर लोग मानते हैं कि लेखकों ने प्रेम विषय पर लिखना शुरु किया होगा। हालांकि लिखने वाले देशभक्ति से लेकर काल्पनिक दुनिया के अनंत दाएरे को भी पार कर चुके हैं।
आज हम आपके लिए ऐसे ही कुछ चुनिंदा शायरी लाए हैं जिसमें न केवल प्यार ब्लकि प्रेरणा, उमंग, खुद्दारी जैसे विषयों पर इस फन का बेजोड़ काम है
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ
प्यार शायरी, मोहब्बत पर शायरी
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
प्यार शायरी, मोहब्बत पर शायरी
अपने जैसी कोई तस्वीर बनानी थी मुझे
मिरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले
प्यार शायरी, मोहब्बत पर शायरी
अब तो मिलिए बस लड़ाई हो चुकी
अब तो चलिए प्यार की बातें करें
प्यार शायरी, मोहब्बत पर शायरी
अहल-ए-हवस तो ख़ैर हवस में हुए ज़लील
वो भी हुए ख़राब, मोहब्बत जिन्हों ने की
प्यार शायरी, मोहब्बत पर शायरी
आख़री हिचकी तिरे ज़ानूँ पे आए
मौत भी मैं शाइराना चाहता हूँ
प्यार शायरी, मोहब्बत पर शायरी
आते आते मिरा नाम सा रह गया
उस के होंटों पे कुछ काँपता रह गया
प्यार शायरी, मोहब्बत पर शायरी
आज देखा है तुझ को देर के बअद
आज का दिन गुज़र न जाए कहीं
आदमी जान के खाता है मोहब्बत में फ़रेब
ख़ुद-फ़रेबी ही मोहब्बत का सिला हो जैसे
प्यार शायरी, मोहब्बत पर शायरी
अक़्ल ये कहती है दुनिया मिलती है बाज़ार में
दिल मगर ये कहता है कुछ और बेहतर देखिए
प्यार शायरी, मोहब्बत पर शायरी
आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठें
दिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की