राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में फुटपाथ पर एक अलग ही दुनिया बसती है।जिसमें अधिकतर बसेरा बच्चों का हैं।ये बच्चे न जाने रोज़ कितने समस्याओं से झुझते हैं जिसमें नशे की लत, अभद्र व्यवहार और हिंसा का शिकार तो जैसे आम सी बात हो गई है। कह सकते हैं कि इन बच्चों ने ये मान लिया है कि यही इनकी ज़िंदगी की सच्चाई है।अपना पेट भरने और नशे की लत को पुराण करने के लिए ये मजबूरीवश कूड़े का काम, चोरी-चकारी इत्यादि भी करते हैं। इन बच्चों की ज़िंदगी बस नशे और कूड़े के इर्द-गिर्द ही घूमती है।
हाल ही में हुए एक शोध से पता चला कि दिल्ली में रहने वाले इन बच्चों में से हर तीन में से एक बच्चा नशे का शिकार है, इसमें तंबाकू, शराब, अफ़ीम, ड्रग्स जैसे बड़े नशे तक शामिल हैं। ये आँकड़े बड़े ही हैरान करने वाले हैं। बता दें कि सड़क पर रहने वाले बच्चों में से लगभग 35% बच्चे नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। शोध के मुकाबिक जिनके कारण बड़े ही चौंकाने वाले हैं। 29 फ़ीसदी बच्चे दोस्तों के दबाव में, 19 फ़ीसदी क्यूरोसिटी के चलते, 9 फ़ीसदी ज़िंदगी के दवाब में, 6.2 फ़ीसदी ख़राब मौसम के कारण, 2 फ़ीसदी परिवार को भूलने के लिए और 6 फ़ीसदी बच्चे अपनी भूख मिटाने के लिए नशे का इस्तेमाल करते हैं।
बच्चों के नशे की लत का कारण
बता दें कि नशे की लत के शिकार हुए इन बच्चों में लगभग सभी की उम्र 7 से 18 वर्ष है। इसके साथ ही नशे में इन बच्चों के पड़ने का एक और बड़ा कारण है कि नशा करने वाले बच्चों में लगभग 86 फ़ीसदी बच्चों के पेरेंट्स भी नशे की लत के शिकार हैं। तो ये कहना गलत नहीं होगा कि कहीं न कहीं इनके माता-पिता भी एक कारण हैं इन बच्चों के नशे की लत में पड़ने का। नशे के चलते इन बच्चों का बचपन तो ख़राब हो ही रहा है पर साथ ही ये कई जानलेवा बीमारियों की चपेट में भी आ रहे हैं जिसमें एचआईवी जैसी बड़ी बीमारियां भी शामिल हैं।
संख्या के लिहाज़ से देखा जाये तो सबसे ज्यादा बच्चे तंबाकू (21,770 बच्चे) का नशा करते हैं। उसके बाद शराब (9,450 बच्चे), इनहेलेंट(7,910 बच्चे), भांग(5,600 बच्चे), हेरोइन(840 बच्चे), अफ़ीम(420 बच्चे) का नशा करते हैं।
नशे की वजह से इन बच्चों को कई समस्याओं एक्सीडेंट, ड्रग्स लेते समय हुई इंजरीज, मानसिक तनाव, खुद को चोट पहुँचाना जैसी जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ता है।इन बच्चों में से 80 फ़ीसदी बच्चों का कहना हैं कि ये नशे की जकड़ में ऐसे जकड़े हैं कि यहाँ से निकलना इनके बस में नहीं है और ये चाह कर भी अब नशे की इस दुनिया से निकल नहीं पाते ।
आपको बता दें कि दिल्ली नशे के शिकार बच्चों का हब है। इसमें नॉर्थवेस्ट दिल्ली के 24 फ़ीसदी, सेंट्रल दिल्ली में 21 फ़ीसदी, और साऊथ दिल्ली में 16 फ़ीसदी नशे के शिकार बच्चे हैं। ये बच्चे पार्क, धार्मिक स्थलों, रेलवे स्टेशनों, खाली सड़कों, बस स्टेण्डों इत्यादि पर सबसे अधिक नशा करते हुए पाए जाते हैं।