ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा - जावेद अख़्तर Poem in Hindi ज़िंदा हो तुम - जावेद अख़्तर दिलों में अपनी बेताबियाँ ले कर चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम नज़र में ख्वाबों की बिजलियाँ ले कर चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम हवा के झोंकों के जैसे आज़ाद रहना सीखो तुम एक दरिया के जैसे लहरों में बहना सीखो हर एक लम्हे से तुम मिलो खोलो अपनी बाहें हर एक पल नया समा देखे ये निगाहें जो अपनी आँखों में हैरानियाँ ले कर चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम दिलों में अपनी बेताबियाँ ले कर चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम
ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा - जावेद अख़्तर Poem in Hindi