Hindi poem - kumar vishwas सूरज पर प्रतिबंध अनेकों सूरज पर प्रतिबंध अनेकों और भरोसा रातों पर नयन हमारे सीख रहे हैं हँसना झूठी बातों पर हमने जीवन की चौसर पर दाँव लगाए आँसू वाले कुछ लोगों ने हर पल, हर दिन मौके देखे बदले पाले हम शंकित सच पा अपने, वे मुग्ध स्वयं की घातों पर नयन हमारे सीख रहे हैं हँसना झूठी बातों पर हम तक आकर लौट गई हैं मौसम की बेशर्म कृपाएँ हमने सेहरे के संग बाँधी अपनी सब मासूम खताएँ हमने कभी न रखा स्वयं को अवसर के अनुपातों पर नयन हमारे सीख रहे हैं हँसना झूठी बातों पर