ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा - जावेद अख़्तर Poem in Hindi
दिल आखिर तू क्यूँ रोता है ?
जब जब दर्द का बादल छाया
जब गम का साया लहराया
जब आंसूं पलकों तक आये
जब ये तन्हां दिल घबराया
हमे दिल को यूँ समझाया
दिल आखिर तू क्यूँ रोता है?
दुनिया में यूँही होता है
ये जो गहरे सन्नाटे हैं
वक्त ने सबको ही बांटे हैं
थोड़ा गम है सबका किस्सा
थोड़ी धुप है सबका हिस्सा
आँख तेरी बेकार ही नम है
हर पल एक नया मौसम है
क्यूँ तू ऐसे पल खोता है
दिल आखिर तू क्यूँ रोता है?
ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा - जावेद अख़्तर Poem in Hindi