2019 लोकसभा चुनावों को लेकर सारी पार्टियां अपने जीत की जद्दोज़हद में लग गए हैं। इस बार पूरा विपक्ष एक होता दिख रहा है वहीं मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं। लेकिन एक कहावत है कि जंगल में एक ही शेर होता है और भाजपा इस वाक्य को सही साबित करने में लगी हुई है। इसी के चलते अभी बाकि पार्टियां नींद से जागी भी नहीं और बीजेपी ने चुनावी बिगुल भी फूंक दिया। गौरतलब है कि साल का पहला दिन शुरू होते ही टीवी पर इंटरव्यू और 24 घंटे के बाद ही 2019 लोकसभा चुनाव की पहली रैली... एक-एक कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। बता दें कि भाजपा द्वारा 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार का आगाज गुरुवार को पंजाब के गुरुदासपुर के रैली के जरिए किया। पीएम मोदी की प्लानिंग के हिसाब से वह जनवरी-फरवरी में 20 राज्यों में कुल 100 रैलियां करेंगे। जबकि विपक्षी दलों की ओर से अभी तक किसी भी पार्टी ने चुनावी बिगुल नहीं फूंका है। इस तरह से इस साल की सबसे बड़ी सियासी लड़ाई में बीजेपी बढ़त बनाती हुई नजर आ रही है। आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले पीएम मोदी ने 20 राज्यों की उन 123 लोकसभा सीटों पर रैलियां करने का फैसला किया है, जिन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद बीजेपी जीत नहीं सकी थी। इसी के चलते अब पीएम ने सरकारी कार्यक्रमों और जनसभाओं के जरिए इन सीटों के मतदाताओं तक पहुंचने की रणनीति बनाई है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी के हाथ से सत्ता चली गई । इन तीनों राज्यों में कुल 65 संसदीय सीटें हैं जिसमें 2014 के लोकसभा चुनाव में इनमें से 62 सीटों पर जीत मिली थी। ऐसे में 2019 में लोकसभा चुनाव में पिछले नतीजों को दोहराना पार्टी के एक बड़ी चुनौती है। विधानसभा चुनाव के नतीजे अगर लोकसभा चुनाव में तब्दील होते हैं तो यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बीजेपी की करीब 28 से 30 सीटें कम हो सकती है। सभी आंकड़ों को देखते हुए और गुना भाग लगाने के बाद मोदी ने लोकसभा चुनाव के ऐलान से पहले ही अपने किले को दुरुस्त करना शुरू कर दिया है। इसके लिए उन्होंने पिछले चुनाव में हारी हुई 123 सीटों पर पहले फोकस किया है। इसके पीछे बीजेपी की एक रणनीति और भी है कि इन सीटों पर अपना सांसद न होने के कारण स्थानीय स्तर पर सत्ता विरोधी रुझान का खतरा भी कम है। ऐसे में इन सीटों पर मोदी के चेहरे का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर चुनाव में कमल खिलाने की रणनीति है। बीजेपी नेताओं ने 2019 के चुनावी ऐलान से पहले ही तैयारी शुरू कर दी थी। बता दें कि पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पिछले एक साल से रैलियां के जरिए सरकार की योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इसके अलावा बीजेपी ने 'सम्पर्क फॉर समर्थन' के जरिए विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों के साथ मुलाकात भी की थी। बीजेपी के लगभग 4000 से अधिक कार्यकर्ताओं को एक लाख लोगों से मिलने और सरकार की उपलब्धियां उन्हें बताने की जिम्मेदारी भी दी गई थी, जिस पर पूरा अमल हो रहा है और एक बार फिर मोदी लहार की तयारी शुरू हो गई है। इसी के साथ बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने खुद भी पूर्व सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप, उद्योगपति रतन टाटा, अभिनेत्री माधुरी दीक्षित, महेंद्र सिंह धोनी जैसी कई हस्तियां से मुलाकात भी की। वहीं, कांग्रेस सहित सपा, बसपा, एनसीपी, टीएमसी जैसे विपक्षी दल अभी तक चुनावी रण में उतरे ही नहीं हैं। एक तरफ जहाँ विपक्ष मोदी के खिलाफ एकता की बात कर रहा है, तो बता दें कि अभी तक बिहार और महाराष्ट्र को छोड़कर बाकी राज्यों की गठबंधन की तस्वीर साफ नहीं हो सकी है। कांग्रेस को हाल ही में मिली तीन राज्यों की जीत से लोगों को संभावनाएं दिखने लगी हैं, लेकिन राहुल गांधी सियासी रण में कब उतरेंगे ये सवाल बरक़रार है और इसे लेकर अभी तक पार्टी की ओर से कोई घोषणा नहीं की गई है। कांग्रेस अभी तक मोदी के खिलाफ राफेल डील के सिवा कोई और मुद्दे पर उन्हें घेरती हुई नहीं दिख रही है। जबकि बीजेपी ने पांच राज्यों के चुनाव के दौरान ही पीएम मोदी की रैलियों का खाका तैयार कर लिया था। बता दें कि बीजेपी की लोकसभा चुनाव तैयारियों को लेकर सपा संरक्षक मुलायम सिंह को यह तक कहना पड़ा कि सपा अभी तक तैयारियों में काफी पीछे चल रही है। जबकि बीजेपी सभी पार्टियों से आगे है। अब देखना ये होगा कि 2019 के इस चुनावी रण में किसकी जीत का बिगुल बजता है।