क्रिसमस ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा त्यौहार है । जैसे हिन्दू समुदाय के लिए दीपावली, मुस्लिम समुदाय के लिए ईद और सिख समुदाय के लिए लोहड़ी का त्यौहार होता है ठीक उसी तरह क्रिसमस ईसाई समुदाय का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्यौहार होता है। क्रिसमस हर साल 25 दिसंबर के दिन मनाया जाता है। लगभग 2000 वर्ष पूर्व 25 दिसंबर के दिन संत ईसा मसीह का जन्म हुआ था। ईसा मसीह को ईश्वर का सबसे प्रिय पुत्र माना जाता है। इसलिए ये दिन ईसाई समुदाय के लोगों के लिए बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण होता है। आम भाषा में इस दिन को बड़ा दिन भी कहा जाता है। ईसा मसीह ने मानव समुदाय को प्रेम और भाईचारे का सन्देश दिया था। ईसा मसीह को ईसाई समुदाय का जन्मदाता माना जाता है।
क्रिसमस का ये त्यौहार पूरी दुनिया में बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है। साथ ही विश्व के जिन देशों में ईसाई धर्मानुयायी रहते हैं, वे क्रिसमस के इस त्यौहार को बहुत उत्साह से मनाते हैं । धर्मानुयायी इस दिन चर्च में जाते हैं और विशेष प्रार्थना करते हैं। इस दिन ईसाई समुदाय के लोग अपने प्यारे यीशु को याद करते हैं और उनके जन्मदिन को मनाते हैं। इस दिन का भी किस्सा याद कर के ख़ुशी से ईसाई समुदाय इस त्यौहार को मनाते हैं। हुआ यूँ था कि ईसा द्वारा दिए जा रहे प्रेम और भाईचारे का सन्देश के कारण उनको सूली पर लटका दिया गया था जिसके बाद उनके सभी अनुयायी शोक में डूब गए थे लेकिन उस वक्त जो हुआ वो किसी चमत्कार से काम नहीं था। सूली पर लटके यीशु फिर से जी उठे थे। इस चमत्कार के पीछे जन-कल्याण की भावना थी। और तभी से यीशु को ईश्वर का तोहफा और उनका सबसे प्रिय पुत्र माना जाने लगा।तभी से इस दिन को क्रिसमस के त्यौहार के रुप में ईसाई समुदाय के द्वारा बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है।
बता दें कि ईसा मसीह को यीशु, जीसस क्राइस्ट आदि अनेक नामों से भी जाना जाता है । यीशु के चमत्कार एवं उपदेशों की कथाएँ बाइबिल में वर्णित हैं । यीशु ईश्वर का अवतार नहीं थे बल्कि एक महापुरुष थे जिन्होंने लोगों को आपस में प्रेम सहित, मिल-जुलकर रहने की शिक्षा दी। ईसा का कहना कहा था कि सभी मनुष्य एक ही ईश्वर की संतान हैं, अत : किसी को पीड़ा न दो। आज सारा संसार उन्हें आदर की दृष्टि से देखता है ।
क्रिसमस को खुशियों का त्यौहार कहा जाता है। ईसाई समुदाय के लोग इस त्यौहार की तैयारी कई दिन पहले से शुरू कर देते हैं। क्रिसमस पर घर की साफ-सफाई होती है तथा घर सुसज्जित किए जाते हैं । घर में नए फर्नीचर खरीदे जाते हैं । क्रिसमस के दिन पहनने के लिए नए वस्त्र तैयार किए जाते हैं । दुकानों में केक और मिठाइयों के आर्डर दिए जाते हैं । घर में अतिथियों के आवागमन का सिलसिला आरंभ हो जाता है । बाज़ारों में भी इसकी खूब रौनक देखने को मिलती है।भले ही दिसंबर में कड़ाके की ठंड पड़ती है परंतु लोगों का उत्साह देखते ही बनता है ।
साथ ही क्रिसमस पर बच्चों में भी एक अलग ही उत्साह होता है बच्चे अपने प्यारे सांताक्लाँज को बहुत याद करते हैं । लंबे बाल, सफेद दाढ़ी और लाल रंग की वस्त्र, हाथ में गिफ्ट से भरा झोला लिए बूढ़े बाबा का बच्चों को बहुत बेसब्री से इंतज़ार रहता है। बच्चों के इस उत्साह को बढ़ाने के लिए जगह जगह पर कई सांताक्लॉज क्रिसमस पर जरूर आते हैं और बच्चों को टार्फियाँ, गुब्बारे, मिठाइयाँ, कपड़े, जूते आदि कई उपहार देते हैं । कई लोग इस दिन सांताक्लॉज बन जाते हैं और बच्चों में कुछ-न-कुछ बाँटते हैं ।
इस तरह क्रिसमस का त्योहार लोगों को सबके साथ मिल-जुलकर रहने का संदेश देता है । ईसा मसीह कहते थे-दीन-दुखियों की सेवा संसार का सबसे बड़ा धर्म है । इसलिए जितना हो सके, दूसरों की मदद करो । देखा जाए तो यही संसार के अन्य सभी धर्मों का सार है । क्रिसमस के अवसर पर लोगों को ईसा मसीह के उपदेशों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए । क्रिसमस के त्यौहार के बाद से ही नई साल यानी न्यू ईयर की भी तैयारियां शुरु कर देते हैं।दिसंबर का ये महीना क्रिसमस के त्यौहार और नई साल आने की खुशियां लेकर आता है।