*मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम*
राम तो हैं आदर्श हमारे,
कौशल्या के राजदुलारे,
वो अयोध्या धाम में पधारे,
भारतीय जनमानस के प्यारे।
आदर्श पति,आदर्श भाई हैं,
आदर्श पुत्र के मानक न्यारे,
पिता वचन न जाये खाली,
इसीलिए वनवास स्वीकारे।
आदर्श दोस्त की मिसाल बने वो,
सुग्रीव के सिर मुकुट धर दीन्हीं,
विभीषण जब शरण लिए हैं,
लंका जीत उन्हीं को दीन्हीं।
सीता माँ का हरण हुआ जब,
हनुमान ने खोज है किन्हीं,
भरतहि सम भाई बोल कर,
आजीवन अपने संग लै लीन्हीं।
दशानन का संहार किये जब,
अपमान नहीं बैरी का कीन्हा,
ज्ञान हेतु लक्ष्मण को भेजा,
तब रावण ने ज्ञान है दीन्हा।
भारत के जन जन में राम,
भारत के कण कण में राम,
हम सबके आदर्श हैं राम,
जय जय राम,जय जय श्रीराम।
*विजय दशमी की शुभकामनाएं...*
©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर