राखी नहीं है कच्चा धागा,
भाई बहन ने प्यार से पागा।
बहन ने बड़े प्यार से देखो,
भाई की कलाई पर बाँधा।।
भाई करता है इन्तज़ार,
कब आएगा राखी का त्योहार।
बहना बांधेगी राखी कलाई पर,
मैं दूँगा उसको प्रिय उपहार।।
बहना अपना प्यार लुटाती,
हजारों आशीष वो दे जाती।
भाई सदा रहे समृद्ध हमारा,
ऐसा आशीर्वाद वो दे जाती।।
बहन के प्यार पर,
भाई जान छिड़कता।
बहन के आंसुओं पर,
वो किसी से भी भिड़ जाता।।
भाई बहन का रिश्ता न्यारा,
सब रिश्तों में सबसे प्यारा।
हर सुख दुःख के भागीदार,
कभी कम न होता उनका प्यार।।
©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर