रंग दो मन की कोरी चादर
हरे ,गुलाबी , लाल , सुनहरी
रंग इठलायें जिस पर खिलकर !!
सजे सपने इन्द्रधनुष के -
नीड- नयन से मैं निहारूं
सतरंगी आभा पर इसकी -
तन -मन मैं अपना वारूँ
बहें नैन -जल कोष सहेजे--
मुस्काऊँ नेह -अनंत पलक भर !!
स्नेहिल सन्देश तुम्हारे -
नित शब्दों में तुमसे मिल लूं -
यादों के गलियारे भटकूँ -
फिर से बीते हर पल जी लूं ;
डूबूं आकंठ उन घड़ियों में -
दुनिया की हर सुध बिसराकर
अनंत मधु मिठास रचो तुम
आहत मन की आस रचो तुम
रचो प्रीत उत्सव कान्हा बन -
जीवन का मधुमास रचो तुम
खिलो कंवल बन मानसरोवर
सजो अधर चिर हास तुम बनकर !!!!!!!!!
चित्र -- पञ्च लिंकों से साभार --
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