दूभर तो बहुत थी -
ये उदासियाँ मगर ,
आई तुम्हारी याद -
तो हम मुस्कुरा दिए !
आई पलट के खुशियां -
महकी हैं मन की गलियां ;
बहुत दिनों के बाद -
हम मुस्कुरा दिए ! !
बड़े विकल कर रहे थे --
कुछ जो संशय मनचले थे ;
धीरज ना कुछ बचा था -
और नैन भर चले थे ;
बस यूँ ही उड़ चले --
कई दर्द अनकहे .
जब तुमसे हुई बात -
तो हम मुस्कुरा दिए ! !
हम यूँ ही बस भले थे -
तन्हाइयों में जीते !
आये किधर से राही -
तुम रंग ले के जिंदगी के ?
जीवन में वो कमी थी -
आँखों में बस नमी थी ,
पर तुम जो आये साथ --
तो हम मुस्कुरा दिए ! !