सुना है हिमालय हो तुम !
सुदृढ़ , अटल और अविचल -
जीवन का विद्यालय हो तुम ! !
शिव के तुम्ही कैलाश हो -
माँ जगदम्बा का वास हो ,
निर्वाण हो महावीर का --
ऋषियों का चिर - प्रवास हो ;
ज्ञान - भक्ति से भरा -
बुद्ध का करुणालय हो तुम ! !
युगों से अजेय हो --
वीरों की विजय हो तुम ,
लालसा में शिखर की -
साहस का गन्तव्य हो तुम ;
संघर्ष का उत्कर्ष हो -
नीति का न्यायालय हो तुम ! !
कवियों का मधुर गान हो -
मुरली की मीठी तान हो ,
शीतल उच्छवास हो सृष्टि का -
राष्ट्र का अभिमान हो ;
नभ के संदेशे बांटता -
मेघों का पत्रालय हो तुम ! !
हिम - शिखरों से सजा --
माँ भारत का उन्नत भाल हो ,
टेढ़ी नजर से ताकते -
शत्रु का महाकाल हो ;
कण -कण में बसा भारत जिसमे -
कश्मीर से मेघालय हो तुम ! !
सुदृढ़ , अटल और अविचल -
जीवन का विद्यालय हो तुम ! !
सुना है हिमालय हो तुम -------- ! ! !