तेरी मिटटी से बना जीवन मेरा -
तेरे साथ अटूट है बंधन मेरा ,
तुझसे अलग कहाँ कोई परिचय मेरा ?
तेरे संस्कारों में पगा तन मन मेरा !!
नमन तेरी सुबह और शाम को
तेरी धरती, तेरे खेत - खलिहान को
तेरी गलियों ,मुंडेरों का कहाँ सानी कोई ?
वंदन मेरा तेरे खुले आसमान को ;
तेरे उदार परिवेश की पहचान मैं-
तेरी यादें अनमोल संचित धन मेरा
जब कभी तेरे सानिध्य में लौट आती हूँ मैं
तब - तब नई उमंग से भर जाती हूँ मैं
तेरी गलियों मे विचर उन्मुक्त मैं --
अपना बीता बचपन फिर से जी जाती हूँ मैं
लौट जाती हूँ नम आँखों से फिर
भर आँचल में भरपूर अपनापन तेरा !!
मन -आँगन में तेरे रूप का हरा सा कोना है
मुझ विकल का वही स्नेह भरा बिछौना है ;
नित निहारूं मन की आँखों से तुझे-
जिनमे बसा ये तेरा रूप सलोना है-
जब जब आऊँ तुझे नजर भर देखने
पाऊँ महकता स्नेह भरा उपवन तेरा !!
ना आये बला कोई तुझपे- ना हो कभी बेहाल तू,
ले दुआ बेटी की -सदा रहे खुशहाल तू ;
रौशन रहे उजालों से सुबह -शामें तेरी
सजा नित अपनी चौखट पे खुशियों की ताल तू
लहराती रहें हरी भरी फसलें तेरी
मुरझाये ना कभी - ये हरियाला सावन तेरा !!!!!!!
तुझसे अलग कहाँ कोई परिचय मेरा ?
तेरे संस्कारों में पगा तन मन मेरा !!!!!!!!!!!!!!