
भरपूर हरियाली खेतों की ---
और बचपन की ये मस्त अदा !
तन धरा पे मन अम्बर में -
हटी है जग की हर बाधा !!
खुशियों का जब चला काफिला -
झुक - सा गया गगन नीला .
धरती की गोद में अनायास -
कोई फूल सा आन खिला ;
फैंक दिया किताबों का झोला--
ना कांधे कोई बोझ लदा !!
बेफिक्री के इस आलम पे
अपनी सौ - सौ जान फ़िदा !!!!!!!!!!!!!