पीड़ - पगे मन से आ मिल कर -
इक अमर - गीत लिखें हम तुम !
हार के भी सदा जीती है -
जग में प्रीत लिखें हम - तुम ! !
तन पर अनगिन जख्म सहे -
तब जाकर साकार हुई -
मंदिर में रखी मूर्त यूँ हुई -
पूज्य पुनीत लिखें हम तुम ! !
जो उलझ गई तूफानों से -
वो भवसागर से पार हुई ,
उल्टी लहरों पर कश्ती ने -
रचा जीवन - संगीत लिखें हम तुम !
जब राह ना मिलती इस जग से -
तो चुन के राह सितारों की ,
मिलते जीवन के पार कहीं -
वो मन के मीत लिखें हम तुम ! !
हार के भी सदा जीती है -
जग में प्रीत लिखें हम तुम ! ! ! !