समय निरंतर प्रवाहमान होते अपने अनेक पड़ावों से गुजरता - जीवन में अनेक खट्टी - मीठी यादों का साक्षी बनता है | इनमे से कई पल यादगार बन जाते हैं | पिछले साल मेरे जीवन में भी शब्दनगरी से जुड़ना एक यादगार लम्हा बन कर रह गया | जनवरी --2017 में गूगल पर पढने की सामग्री ढूढ़ते हुए मेरा परिचय शब्द नगरी से हुआ | इस पर मैंने कई दिन बहुत सी चींजे पढ़ीं तो जाना कि इस पर लेखन कार्य भी किया जा सकता है जिसके लिए एक आसान सी प्रक्रिया के तहत अपना अकाउंट बनाना पड़ता है | क्योकि उन दिनों मुझे इंटनेट पर सिवाय पढने के कुछ भी नहीं आता था अतः -मैंने इसके लिए मेरी बिटिया की मदद ली जो उन दिनों 12वीं कक्षा की छात्रा थी | उसने बड़ी ही तत्परता से मेरा अकाउंट बनाया और पूरी प्रक्रिया समझाई | रोमांचित हो मैंने अगले दिन लोहड़ी पर छोटा सा लेख लिखा और प्रकाशित किया | खास बात ये थी कि उस दिन मुझे इस लेख को चार बार लिखना पड़ा तब कहीं जाकर ये प्रकाशित हो पाया | इसमें कई गलतियाँ भी थी जो आज तक भी ठीक नहीं कर पायी हूँ |इसी लेख के साथ मेरे शौकिया लेखन की यात्रा शुरू हो गयी | अगले दिन मेरी ख़ुशी का ठिकाना ना रहा- जब मैंने देखा कि शब्द नगरी ने एक अपनी तरफ से एक सुंदर चित्र मेरे लेख के साथ संलग्न कर दिया है | मेरे लेख पर कई लोगों की टिप्पणियाँ भी थी जिनमे बड़े उत्साहवर्द्धक शब्द लिखे थे -- जिनमे से एक टिप्पणी शब्द नगरी की तरफ से भी थी | आज लगभग 55 रचनाओं के साथ ,मेरी इस रचनात्मक यात्रा में अनेक पाठकों ने अपना अतुलनीय सहयोग दिया जिसके लिए मैं उनकी सदैव आभारी रहूंगी | इसके साथ साहित्य समाज के अत्यत प्रतिभाशाली और कलम के धनी लोगों से परिचय होना मेरा परम सौभाग्य है -- जिनमे सबसे पहला नाम आदरणीय आलोक सिन्हा जी का है जिन्होंने सदैव ही सकारात्मक शब्दों से मेरा उत्साहवर्धन कर मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया है उनके साथ आदरणीय दीदी मंजरी सिन्हा जी का अपार स्नेह भी शामिल है | कई साहित्य मित्रों से परिचय के समय नहीं जान पायी -- पर बाद में पता चला वे ब्लॉग जगत की बड़ी हस्तियाँ है जिनमे आदरणीय रविन्द्र यादव जी , आदरणीय पंकज त्रिवेदी जी , आदरणीय पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी , आदरणीय बहन रश्मि प्रभा जी , आदरनीय विश्वमोहन जी , आदरणीय जैन उत्तम जी .आदरणीय बड़े भैया महत्तम मिश्रा जी , प्रिय ध्रुव सिंह '' एकलव्य '' , आदरणीय अयंगार जी , आदरणीय बहन शालिनी कौशिक साथ अन्य कई प्रखर विद्वानों के नाम शामिल हैं | इसी मंच पर आदरणीय महत्तम मिश्रा जी और आदरणीय संतोष झा ने बहन के रूप में पुकार मुझे शब्दों में दुलारा तो प्रिय नृपेन्द्र कुमार शर्मा ,हेम सिंह राजपूत और मनोज कुमार खंसली जैसे छोटे स्नेहिल भाई पा मन को अनुपम आत्मीयता का एहसास हुआ |
इस मंच से जुड़कर मन अनेक दिव्य अनुभवों से गुजरा | जिसके लिए कोई शब्द पर्याप्त नहीं | आज उन सभी लोगों को सादर सस्नेह आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने मुझे अपार स्नेह दे मेरी रचनात्मकता को नए आयाम दिए | मुझे सदैव ही लेखन और अध्ययन के लिए प्रेरित करने वाले मेरे सबसे बड़े प्रणेता परम आदरणीय कृष्ण राघव जी को मेरा सादर सस्नेह नमन जिनके प्रेरणा के बिना कुछ शब्द लिखना भी सम्भव नहीं था | उनके उत्साहवर्धन और दिखाए रास्ते ने मेरी कल्पना शक्ति को नया आकाश दियाऔर उनके मार्ग दर्शन ने मेरा आत्मविश्वास बढाया | |शब्द नगरी के आदरणीय रवि भाई , प्रिय प्रियंका शर्मा को विशेष आभार जिन्होंने मुझे बहुत सहयोग दिया | अंत में मेरे सभी पाठको को मेरी अन्तंत शुभकामनाएं और लोहड़ी और मकर सक्रांति पर्व की ढेरों बधाइयाँ | आशा है भविष्य में भी ये स्नेह यूँ बना रहेगा |