
अब नहीं हो! दुनिया के लिए,
तुम तनिक भी अंजाने, चाँद!
सब जान गए राज तुम्हारा
तुम इतने भी नहीं सुहाने, चाँद!
बहुत भरमाया सदियों तुमने ,
गढ़ी एक झूठी कहानी थी;
वो थी तस्वीर एक धुंधली ,
नहीं सूत कातती नानी थी;
युग - युग से बच्चों के मामा -
क्या कभी आये लाड़ जताने?चाँद !
खोज - खबर लेने तुम्हारी ,
विक्रम संग प्रज्ञान चला है।
ले खूब दुआओं के तोहफे,
तुम्हे मिलने हिन्दुस्तान चला है ;
ना होना तनिक भी विचलित -
नहीं आया कोई भरमाने , चाँद !
उत्तरी ध्रुव के भेद खुले -
अब दक्षिण की बारी है;
करो !हम से भी भाईचारा,
नहीं कोई दुश्वारी है;
टंके रहोगे कब तक तन्हा ?
अन्तरिक्ष में वीराने , चाँद!
स्वरचित -- रेणु
चित्र - Google से साभार ----
भारतवर्ष के गौरव 'इसरो' को चंद्रयान-2 के सफल प्रक्षेपण के लिए हजारों सलाम!
सभी प्रखर वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं |
इस रचना को आप मेरे ब्लॉग पर भी देख सकते हैं , जिसका लिंक है ---https://renuskshitij.blogspot.com/2019/07/aaaaaaaa-aa-aaaaa-aa-aaa-aaa-aaaaaa.html