नील गगन में उड़ने वाले -
ओ ! नटखट आवारा बादल ,
मुक्त हवा संग मस्त हो तुम
किसकी धुन में पड़े निकल !
उजले दिन काली रातों में -
अनवरत घूमते रहते हो ,
उमड़ - घुमड़ कहते क्या -
और किसको ढूंढते रहते हो ?
बरस पड़ते किसकी याद में जाने -
तुम सहसा करके नयन तरल !!
तुम्हारी अंतहीन खोज में -
क्या तुम्हे मिला साथी कोई ?
या फिर नाम तुम्हारे आई
प्यार भरी पाती कोई ?
क्या कभी ठहर मुस्काये हो
या रहते सदा यूँ ही विकल !!
संतप्त धरा जब पुकारे तुम -
तुम बन फुहार आ जाते हो .
धन - धान्य को समृद्ध करते
जब सावन को संग लाते हो ;,
सुरमई घटा देख नाचे मोरा -
पंचम सुर में गाती कोकिल !!
मेघ तुम जग के पोषक
तुमसे सृष्टि पर सब वैभव ,
तुमसे मानवता हरी - भरी -
और जीवन बन जाता उत्सव ;
धरती का तपता दामन-
तुम्हारे स्पर्श से होता शीतल !!
नील गगन में उड़ने वाले -
ओ ! नटखट आवारा बादल !!!!!!!!!!!!