सुन ! ओ वेदना जीवन में -
लौट कभी ना आना तुम !
घनीभूत पीड़ा -घन बन -
ना पलकों पर छा जाना तुम !!
हूँ आलिंगनबद्ध - सुखद पलों से -
कर ना देना दूर तुम ,
दिव्य आभा से घिरी मैं -
ना हर लेना ये नूर तुम ,
सोई हूँ ले सपने सुहाने -
ना मीठी नींद से जगाना तुम
आज प्रतीक्षित है कोई -
कुछ पग संग चलने के लिए ;
रीते मन में रंग अपनी -
प्रीत का भरने के लिए
लौटा लाया खुशियाँ मेरी -
समझो ना उसे बेगाना तुम
लौटी हूँ चिरप्रवास से -
रिक्तियों के नभ से मैं
आकंठ हूँ अनुरागरत -
विरक्त हूँ इस जग से मैं
स्नेह पाश में बंधी -
ना बंधन ये तोड़ जाना तुम
जो हैं शब्दों से परे-
एहसास जीने दो मुझे
बन गया अभिमान मेरा -
विश्वास जीने दो मुझे -
जोड़ नाता अतीत से -
ना फिर मुझे भरमाना तुम
ना सताना मुझे
ना फिर रुला देना मुझे
दिवास्वप्न ये मधुर से -
मिटा ना तरसाना मुझे
दूर किसी जड़ बस्ती में
जाकर के बस जाना तुम !!
चित्र -- गूगल से साभार |