जाने ये कौन चितेरा है -
जो सजा लाया नया सवेरा है ,
नभ की कोरी चादर पर जिसने -
हर रंग भरपूर बिखेरा है ?
ये कौन तूलिका है ऐसी -
जो ज़रा नजर नहीं आई है ?
पर पल भर में ही देखो -
अम्बर को सतरंगी कर लाई है ?
जो धरा को कर हरित वसना -
पथ में बिछा गया रंग सुनहरा है -
जाने ये कौन चितेरा है ?
ये विस्तार सौदर्य का -
अनुपम और अद्भुत है ये बेला ;
सपनो में रंग भरता है ये -
नील गगन का सतरंगी झूला
मौन दिशाओं में जगा गया स्पन्दन -
रच ये देव -धनुष का घेरा है -
जाने ये कौन चितेरा है ?
वर्षा में नहाया खूब खिला -
ये तन सृष्टि का धुला- धुला ;
ये ईश्वर की प्रतिछाया सा -
हुआ निर्मल अम्बर खुला - खुला ;
किरणों से आंखमिचौली करता -
ये मलय पवन का लहरा है -
जाने ये कौन चितेरा है -~~~~~~~~~~~~
चित्र -- पञ्च लिंकों से साभार --
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