बादल संग आंखमिचौली खेले --
पूरा चाँद सखी फागुन का-- !
संग जगमग तारे -
लगें बहुत ही प्यारे ;
सजा है आँगन आज गगन का !
सखी ! दूध सा चन्दा --
दे मन आनंदा ;
हरमन भाये ये समां पूनम का !
कोई फगुवा गाये --
तो पीहर याद आए ;
झर - झर नीर बहे नयनन का !
सखी अपलक निहारूँ --
मैं तन - मन वारूँ ;
जब चाँद में मुखड़ा दिखे साजन का