अनगिन दीपों संग आज जलाऊँ -
एक दीप तुम्हारे नाम का साथी ,
तुम्हारी प्रीत से हुई है जगमग
क्या कहना इस शाम का साथी !!
जब से तुम्हे साजन पाया है -
मन हर्षित हो बौराया है ,
तुमसे कहाँ अब अलग रही मैं ?
खुद को खो तुमको पाया है ;
भीतर तुम हो -बाहर तुम हो -
तू आराध्य मेरे मन धाम का साथी !!
ये अनुराग तुम्हारा साजन
जाने कौन गगन ले जाये
पुलकित सा मन बावरा मेरा
आनंद शिखर छू जाये
तुम बिन अधूरा परिचय मेरा
तू प्रतीक मेरे स्वाभिमान का साथी !!
मन बैरागी बन तजूं रंग सारे -
मन रंगूँ तेरी प्रीत के रंग में ,
साजन रहे अक्षुण साथ तुम्हारा -
जीवन पथ पे चलूँ तुम्हारे संग मे ;
बिन तेरे ये जीवंन मेरा -
अब है मेरे किस काम का साथी ?
अनगिन दीपों संग आज जलाऊँ
एक दीप तुम्हारे नाम का साथी ,
तुम्हारी प्रीत से हुई है जगमग -
क्या कहना इस शाम का साथी !!!!!!!!!!!!!!!