शुक्र है गाँव में
इक बरगद तो बचा है
जिसके नीचे बैठते -
रहीम चचा हैं !!
हर आने -जाने वाले को सदायें देते हैं -
चाचा सबकी बलाएँ लेते हैं ,
धन कुछ पास नहीं उनके -
बस खूब दुआएं देते हैं ;
नफरत से कोसों दूर है -
चाचा का दिल सच्चा है !!
सिख - हिन्दू या हो मुसलमान -
चाचा के लिए सब एक समान ,
माला में मोती से - गुंथे रहें सब -
यही चाचा का है अरमान ;
समझाते सबको - एक है वो मालिक -
जिसने संसार रचा है !!
बरगद से चाचा हैं -
चाचा सा बरगद है ,
इन दोनों की छांव --
गाँव - भर की सांझी विरासत है ;
दोनों ने गाँव के उपवन को -
अपने प्यार से सींचा है !!शुक्र है गाँव में इक
बरगद तो बचा है
जिसके नीचे बैठते -
रहीम चचा हैं !! !!!!!!!!!