बुद्ध की प्रथम और अंतिम नारी-
जिसने उसके मन में झाँका,
जागी थी जैसे तू कपलायिनी --
ऐसे कोई नहीं जागा !!
पति प्रिया से बनी पति त्राज्या--
सहा अकल्पनीय दुःख पगली,
नभ से आ गिरी धरा पे-
नियति तेरी ऐसी बदली ;
वैभव से बुद्ध ने किया पलायन
तुमने वैभव में सुख त्यागा |
बुद्ध को सम्पूर्ण करने वाली -
एक नारी बस तुम थी ,
थे श्रेष्ठ बुद्ध भले जग में -
बुद्ध पर भारी बस तुम थी ;
सिद्धार्थ बन गये बुद्ध भले -
ना तोडा तुमने प्रीत का धागा !!
इतिहास झुका तेरे आगे --
देख उजला मन का दर्पण
एक मात्र पूंजी पुत्र जब
किया बोधिसत्व को अर्पण ;
बुद्ध का अंतस भी भीगा होगा --
देख तुम्हारा सूना तन - मन
चिर विरहणी, अनंत मन -जोगन --
विरह अग्न में तप हुई कुंदन ! !
आत्म गर्वा माँ बन तुमने -
अधिकार अपने पुत्र का मांगा !!
बुद्ध की करुणा में सराबोर हो
तू बनी अनंत महाभागा !!!!!
चित्र --- गूगल से साभार |