मेरे समस्त स्नेही पाठकवृन्द को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ---
तुम कृपासिन्धु विशाल , गुरुवर !
मैं अज्ञानी , मूढ़ , वाचाल गुरूवर !
पाकर आत्मज्ञान बिसराया .
छल गयी मुझको जग की माया ;
मिथ्यासक्ति में डूब -डूब हुआ
अंतर्मन बेहाल , गुरुवर !
तुम्हारी कृपा का अवलंबन ,
पाया अजपाजाप पावन ,
गुरुविमुख हो सब खोया
उलझा गया मुझे भ्रमजाल गुरुवर !
कुटिल वचन , वाणी दूषित ,
मैं अकिंचन , विकारी, जीव पतित ,
तुम्हारी करूणा से पाऊँ त्राण
धुलें मन के सभी मलाल गुरुवर!
सह्जों ने नित गुरुगुण गाया ,
मीरा ने गोविन्द को पाया ,
रत्नाकर बन गये बाल्मीकि
गुरुकृपा का था ये कमाल गुरुवर !
वेदवाणी के प्रणेता तुम ,
मानवता के सुघढ अध्येता तुम ;
साकार रूप परमब्रहम के
करो दया हो जाऊं निहाल गुरुवर !
चित्र - गूगल से साभार
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