प्यार ही डंसने लगा
विजय कुमार तिवारी
तुम चले गये,जिन्दगी में क्या रहा?
हो गये अपने पराये,आईना छलने लगा।
तुम चले गये,जिन्दगी में क्या रहा?
हर हवा तूफान सी,झकझोर देती जिन्दगी,
धुंध में खोया रहा,पतवार भी डुबने लगा।
तुम चले गये,जिन्दगी में क्या रहा?
चाँद तारे छुप गये हैं,दर्द के शैलाब में,
ढल गया दिल का उजाला,हर दिया बुझने लगा।
तुम चले गये,जिन्दगी में क्या रहा?
रुक गयी है रागिनी,मौसम बिखरता ही गया,
खो गयी थिरकन कहीं,अब प्यार ही डंसने लगा।
तुम चले गये,जिन्दगी में क्या रहा?