जीवन में बहुत से उतार-चढ़ाव आते हैं जिसमें इंसान अपने आप को निखारता है और फिर एक पक्का खिलाड़ी बनाता है। हर इंसान हर फील्ड में चैम्पियन नहीं बन सकता है और हर किसी की अपनी-अनपी स्किल्स होती है जिसके हिसाब से व्यक्ति उसमें आगे बढ़ता है। यहां इस कविता में एक ऐसा दर्शन है जिसे पढ़कर आपको अद्भुत एहसास हो सकता है।
क्या है जीवन दर्शन ?
प्रीति को लग गया है पंख,
देख तेरा सुन्दर,सुकोमल,कमनीय छंद।
खुल रहे लाख बंध,
अन्तर में जल गया,दीपक प्यार भरा।
प्रकटन की वेला में,उड़ चली मादक गंध,
मन की इस चादर पर,फैल रहा सम्मोहन,
मदहोश हवा,विकल प्राण,एक स्वप्न-मधुर मिलन।
भिन्न-भिन्न एक हुए,उपजी सुरम्य कान्ति,
डोल रही जीवन में एक लहर,एक रुप,एक देह ,एक प्राण।
युक्त हुए पृथकत्व छोड़,एक भाव,एक ताल,एक रंग।
एक सृष्टि,एक व्यष्टि,एक ढंग,
सिद्ध हुआ आज यहाँ-एक दर्शन।।
कविता
एक दर्शन
विजय कुमार तिवारी..