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मि. ख़ का शहर

9 अप्रैल 2019

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कहानी

मि० का शहर

विजय कुमार तिवारी

मि०ख के शहर में हमलोग पहुँच गये हैं।समुद्र के किनारे बसा हुआ यह सुन्दर शहर बहुत प्राचीन नहीं है।ख का कहना है कि उसके ही दादा-परदादा ने इसे आबाद किया है।मान लेने में मुझे कोई आपत्ति नहीं है।कोई ना कोई तो होता ही है आरम्भ करने वाला।अब जबकि हमलोग घूम रहे हैं यहाँ, तो लगता है कि ऐसी कल्पना नहीं रही होगी के दादा-परदादा के मन में।यह भी हो सकता है कि के पिता या चाचा ने नहीं माना होगा उनका कहना,तभी शहर के बसने में बेतरतीबी गयी है।लोग-बाग बेढंगे तौर से इधर-उधर फैल गये हैं।

मुम्बई से सीधे हमलोग पहुँचे हैं।अरे,यह तो बताना भूल ही गया कि हम इस छोटे से शहर में क्यों जाना चाहते हैं।दरअसल महीनों से हम भ्रमण में हैं और अपने देश को घूम-घूमकर देखना चाहते हैं।साथ में विभागाध्यक्ष और आंटी भी हैं।मि०ख का शहर उनकी ससुराल है।मुम्बई आकर ससुराल जांय,यह हो नहीं सकता।आंटी का खास आग्रह है कि के शहर यानी उनके मायका चलना ही होगा।हमें भला क्या दिक्कत,हम तो तैयार हैं।

आंटी कुछ अधिक ही खूबसूरत हैं और इसका भान भी है उनको।साथ-साथ घूमते हुए मैं जरा अधिक ही विश्वासपात्र हो गया हूँ।ऐसे में मुम्बई में मुझे अकेले छोड़कर जाने की उनकी कत्तई ईच्छा नहीं है।मुझे थोड़ी परेशानी है।यदि ले चलना है तो सभी को ले चलिए।यह स्वार्थपूर्ण कार्य मुझसे नहीं होगा।विभागाध्यक्ष के नेतृत्व में, भ्रमण पर निकले हुए स्नात्कोत्तर के हम छात्र जिस जगह ठहरे हैं वह हमारे सहपाठी के भाई का घर है और यहाँ आकर ही हम समझ पाये हैं कि मुम्बई की चाल का जीवन क्या होता है।जगह जैसी भी हो,उनका आदर और सेवा-भाव मुझे अभिभूत किया है।

भोर में ही आंटी और साहब चले गये।हम मुक्त और स्वतन्त्र हैं।जवां दिल,स्वतन्त्र और मुम्बई जैसी खूबसूरत जगह।खूब घुमाई हो रही है।मजा ही मजा है।खूब दृश्य देखे जा रहे हैं।शाम में थककर चूर हुए लौटे तो मुझे साहब का पत्र मिला।वे अपने साले साहब के साथ उनकी गाड़ी में आये थे और बहुत प्रतीक्षा करके वापस गये हैं।मुझे पत्र में निर्देश है कि सभी को साथ लेकर पहुँचूँ।

ट्रेन की गति बहुत तेज है और रात के ठीक बारह बजे हमलोग के शहर में उतरे।ख का यह शहर अजनबी नहीं लगता।ऐसा क्यों है?इसके पहले ऐसी अनुभूति नहीं हुई है।ख के शहर के,इस छोटे से स्टेशन पर,रात के बारह बजे हमें जानने-पहचानने वाला कोई नहीं है।कैसे मालूम करें के घर का पता?रात में कोई गलत ही बता दे।जिस युवा लड़के से हम पूछते हैं,वह मुस्करा देता है और मेरा नाम बताता है।किंचित संशय होता है।हमें लिवा लाने के लिए ने उसे भेजा है।हम चल पड़े।मुख्य घुमावदार मार्ग से जाकर वह हमें खेतों के मेड़ वाले रास्ते से ले जा रहा है।

आश्चर्य होता है और खुशी भी।पूरा परिवार जगा हुआ है।हमारी प्रतीक्षा की जा रही है। इस भागमभाग वाली दुनिया में यह बहुत अच्छा लगा।कई जवान आँखें मेरी तरफ मुड़ती हैं,मुस्कराती हैं जैसे निमन्त्रित कर रही हो।

"मैं तो आपसे कहानी सुनूँगीं,परियों वाली,"लगभग 10 वर्षीया, की छोटी बहन मेरे पास आकर खड़ी हो गयी।

"मैं भी,"उसके छोटे भाई ने कहा।

"हम लोग कवितायें सुनेंगे,"एक समवेत स्वर उभरा।

"मुझे क्या सुनायेंगे आप?"खूबसूरत आँखों वाली लड़की ने पूछा।मैने उसकी ओर देखा। स्मित मुस्कान उभरी उसके चेहरे पर।सुन्दर है वह,जवान और मिलनसार भी।

"हटो तुम सब,' एक अधेड़ सी महिला ने सबको डांटा," खिलाना, पिलाना,बस।"

"साॅरी ममा,"खूबसूरत आँखों वाली लड़की उठ खड़ी हुई।

रात का लगभग एक बज रहा है।हम मुम्बई से खाकर ही निकले थे।भला खाने की ईच्छा हो भी तो कैसे?हमने ना कर दिया।हम में से किसी ने पानी पीने की बात की।खूबसूरत आँखों वाली लड़की ने जग उठाया और गिलास में पानी डालने लगी।मैंने गौर किया,किसी की आँखों में नींद नहीं है।मैने पूछा,इसकी बावत।खूबसूरत आँखों वाली लड़की ने कहा,"बुआ ने हमें सब बता दिया है।जब से आयीं हैं,उनकी कोई ऐसी बात नहीं है जिसमें आपकी चर्चा हो।मतलब झगड़ा हुआ तो आपने सुलझाया,समस्या आयी तो आपने दूर की,लड़के उदास हुए तो आपने हँसाया,हर शहर में रहने की व्यवस्था आपने की,सबके खाने की चिन्ता आपको थी,आपने कवितायें सुनाईं और आपने सबको प्यार किया।आपकी कारगुजारियों को सुनाकर बुआ लोट-पोट जाती हैं।"

मैंने गौर किया,सभी उत्सुक हैं।खूबसूरत आँखों वाली लड़की को देखते हुए मैंने हथियार डाल दिया,"तब तो मुक्ति नहीं है।"

"बिल्कुल नहीं," खूबसूरत आँखों वाली लड़की की पुतलियाँ चमक उठीं।

मैंने उत्साहित होकर मुस्कराते हुए पूछा,"तो ठीक है,आदेश हो,पहले कौन सा कार्यक्रम प्रस्तुत करूँ।"

खूबसूरत आँखों वाली लड़की कुछ सोचते हुए तय करती है,"आज की रात केवल कवितायें,क्यों भाभी?"उसने अपनी भाभी की ओर देखा।

"हाँ,"उसकी भाभी के चेहरे पर जैसे मस्ती भरी मुस्कान तैर गयी।

खूबसूरत आँखों वाली लड़की ने धीरे से मुझसे कहा,"भाभी को कविता का शौक है।"उसने जोर से कहा,"मुन्नी और मुन्ना अपनी फरमाईश कल करेंगे।"

रात के दो बजे काव्य-पाठ शुरु हुआ।खूब तालियाँ बजीं।वाह-वाह का खूब शोर मचा।लड़की की आँखों में तेज होती जाती चमक से मेरा उत्साह बढ़ता गया।

हमारे सोने की व्यवस्था हो चुकी थी।हम उपर वाले हाल में गये।लड़की और उसकी भाभी भी हमारे साथ थीं।भाभी ने भी अपनी डायरी से कुछ कवितायें सुनाई।खूबसूरत आँखों वाली लड़की हँसने लगी।साथ के लड़को को नींद रही थी।लड़की मुझसे कुछ पूछना चाह रही थी।हम छत की ओर निकल आये।चाँदनी रात में जैसे सबकुछ स्नेहिल,स्निग्ध और शान्त है।

"बुआ ने एक बात कही है,"उसने कहा,"शायद वाराणसी की घटना है।क्या वह बहुत खूबसूरत थी?आपने उसे बदमाश लडकों से कैसे बचाया?क्यों बचाया? फिर चेन्नई तक उसे पूरा संरक्षण दिया।चेन्नई में आप उसके घर भी गये।दिनभर मैरिना बीच,स्नैक गार्डेन,मार्केट,विश्वविद्यालय जाने कहाँ-कहाँ भटके थे साथ-साथ।स्टेशन तक छोड़ने भी आयी थी वह।बुआ बता रही थी,वह बहुत खोयी-खोयी सी थी।क्या आपको उसकी याद नहीं आती?""कमाल है,"उसने शरारत से कहा।

"क्या उत्तर दूँ? मुझे लगता है कि वह एक हादसा था।वह खतरे में थी।मैंने अपना फर्ज निभाया।उसके भाव क्या थे,यह वही जाने।"मैंने सच्चाई कहा।खूबसूरत आँखों वाली लड़की मुस्करा रही थी मानो उसे विश्वास ही नहीं था।

प्रातः लड़की हमसे पहले जागी और उसकी भाभी भी।हमारे लिए नाश्ता भी भाभी ने बनाया।घूमने जाते समय हम सभी दो गाड़ियों में सवार हुए।खूबसूरत आँखों वाली लड़की के आग्रह पर भाभी ने मुझे अपने साथ बैठने को कहा।शायद बुआ से उन लोगों ने पहले ही बातें कर ली थी।जिस फ्लोर पर हम सोये थे,उस पर भाभी का शयनकक्ष था।चाय देते हुए भाभी ने पूछा,"कैमरे में शायद रील डलवाना है,बुआ जी बोल रही थीं।"

"हाँ,बाजार से हो आता हूँ,"मैंने कहा।

हमारे साथ आंटी,भाभी,लड़की की ममा भी गयीं।हमारा भोजन दोपहर में एक साथ उनके अतिथिगृह में होने वाला था।हम सभी समुद्र के किनारे, नारियल के पेड़ो के बीच बने अतिथिगृह में पहुँच गये।मि0 का शहर सुन्दर है।लोग मिलनसार हैं।लड़की में समाज-सेवा की भावना है।उसने अनेकों बार रक्त-दान किया है।आदिवासी बच्चों को पढ़ाने का काम उसकी देख-रेख में चलता है।वह स्वयं एक अच्छी खिलाड़ी भी है।मुझे उसकी खूबसूरती के पीछे उसकी कर्मठता,उसका धैर्य और त्याग ने ज्यादा प्रभावित किया।उसके प्रश्नों से लगा,उसमें गहन चिन्तन-दृष्टि है।

समुद्र के किनारे नारियल के बाग में बैठकर हम उसके स्कूल एवम् बच्चों को देख रहे थे।दूर-दूर तक फैला नीला समुद्र अपनी ऊँची-ऊँची लहरों से अद्भूत आकर्षण पैदा कर रहा है।पाल ताने नौकायें लहरों पर मानो खेल रही हैं।

भोजनोपरान्त हम आराम की मुद्रा में हैं।महिलायें कमरो में हैं और पुरुष बाहरी लान में।खूबसूरत आँखों वाली लड़की मेरे पास गयी।उसने अनेक प्रश्न कर डाले। उत्तर देना कभी-कभी कठिन लगता है।मुन्ना और मुन्नी कहानियों के लिए कहते हैं।सुनाता हूँ,छोटी-छोटी कहानियाँ,अपनी यात्रा के अनेक सुखद संस्मरण।खूबसूरत आँखों वाली लड़की खूब ध्यान से सुन रही है।कहानी के पीछे की कहानी को समझने का प्रयास कर रही है।कभी खुश होती है तो कभी नाखुश।कई बार मुझे टोकती है और सलाह देती है कि मुझे ऐसा करना चाहिए था या ऐसा नहीं करना चाहिए था।मेरे मन में भी ढेर सारे प्रश्न कुलबुला रहे हैं।शायद वह समझ रही है और मुस्कराती है।

"मुझे किसी के प्रश्नों का उत्तर देना है।समझ में नहीं आता कि क्या करूँ."उसने बहुत गहरी दृष्टि से मुझे देखा।मुझे हँसी आयी परन्तु स्वयं को रोकते हुए मैंने उसे देखा।शायद उसे शर्म महसूस हुई।उसने पलकें झुका लीं और एक लाली उभर आयी उसके चेहरे पर।

"कैसा उत्तर? किस प्रश्न का? किसने पूछा है?"

"आप समझ रहे हो।किसी के प्यार का उत्तर देना है मुझे।आप मेरी मदद कीजिए।"उसने गम्भीरता से कहा।

झन्न से कुछ टूटा भीतर।मैंने पुनः उसे गौर से देखा और कहा,"उत्तर देने की जरुरत नहीं पड़ती।प्यार में आप ही आदमी प्रश्न होता है और आप ही उसका उत्तर।"

वह शायद नहीं समझी।उसने कहा,"मैंने स्वयं को व्यस्त कर लिया है।"

"तब तो अधूरा रह जायेगा सबकुछ।पहले स्वयं को पूर्ण करना चाहिए।तभी सम्पूर्णता से किया जा सकेगा।प्यार के लिए आत्मबल और आत्मसम्मान भी चाहिए।मुँह मोड़ना आत्म-पलायन है।शायद जीवन भर पछतावा रहेगा।प्यार वलिदान चाहता है। इसमें केवल देना और करना होता है।"

उसकी आँखों में चमक उभरी जो पहले से तेज होती गयी।

दो दिनों बाद हम लौटने लगे मि0 के शहर से।ख के साथ सभी हमें छोड़ने आये हैं।मुन्नी ने मुझे एक पुस्तक दी और भाभी ने एक कलम।सभी बड़े आशीर्वाद दे रहें थे।

"मैं क्या दूँ?"शायद यही सोच रही है खूबसूरत आँखों वाली लड़की।उसकी खूबसूरत आँखें भर आयी हैं।मैं भी भावुक हो उठा हूँ।

"प्यार जाग जाये तो मरने नहीं देना चाहिए।उसके प्रश्न का उत्तर दे देना।"भावुकता के भीतर से मुस्कराते हुए मैंने धीरे से कहा।

गाड़ी चल पड़ी।

उसके चेहरे पर पूर्ण आश्वस्ति के भाव हैं मानो उसने पूर्ण उत्तर खोज लिया है। मि0 का शहर पीछे,बहुत पीछे छूट गया है और रह गयी है स्मृति मे खूबसूरत आँखों वाली लड़की।

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कविता(मौलिक)बूढ़ा आदमीविजय कुमार तिवारीथक कर हार जाता है,बेबस हो जाता है,लाचारजबकि जबान चलती रहती है,मन भागता रहता है,कटु हो उठता है वह,और जब हर पकड़ ढ़ीली पड़ जाती है,कुछ न कर पाने पर तड़पता है बूढ़ा आदमी। कितना भयानक है बूढ़ा हो जाना,बूढ़ा होने के पहले,क्या तुमने देखा है कभी-तीस साल की उम्र को बूढ

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देश बचाना

13 जनवरी 2019
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कवितादेश बचानाविजय कुमार तिवारीस्वीकार करुँ वह आमन्त्रणऔर बसा लूँ किसी की मधुर छबि,डोलता फिरुँ, गिरि-कानन,जन-जंगल, रात-रातभर जागूँ,छेडूँ विरह-तानरचूँ कुछ प्रेम-गीत,बसन्त के राग। या अपनी तरुणाई करुँ समर्पित,लगा दूँ देश-हित अपना सर्वस्व,उठा लूँ लड़ने के औजारचल पड़ूँ बचाने देश,बढ़ाने तिरंगें की शान। कु

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विम्ब का ये प्यार

15 जनवरी 2019
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गीत(09/05/1978)विम्ब का ये प्यारविजय कुमार तिवारीकौन दूर से रहा निहार?दिल ने कहा-खोलता हूँ द्वार, विम्ब का ये प्यार। पोखरी से फिसल चले हैं पाँव ये,जिन्दगी की कैसी है ढलाँव ये। आज हाथ केवल है हार,दिल ने कहा-खोलता हूँ द्वार,विम्ब का ये प्यार। धड़कने सिसकाव का सहारा ले,मिट रही बढ़त यहाँ किनारा ले। अदाय

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बचपन की यादें

18 जनवरी 2019
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कहानीबचपन की यादेंविजय कुमार तिवारीये बात तब की है जब हमारे लिए चाँद-सितारों का इतना ही मतलब था कि उन्हें देखकर हम खुश होते थे।अब धरती से जुड़ने का समय आ गया था और हम खेत-खलिहान जाने लगे थे।धीरे-धीरे समझने लगे थे कि हमारी दुनिया बँटी हुई है और खेत-बगीचे सब के बहुत से मालिक हैं।यह मेरा बगीचा है,मेरी

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अन्तर्यात्रा का रहस्य

22 जनवरी 2019
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अन्तर्यात्रा का रहस्यविजय कुमार तिवारीकर सको तो प्रेम करो।यही एक मार्ग है जिससे हमारा संसार भी सुव्यवस्थित होता है और परमार्थ भी।संसार के सारे झमेले रहेंगे।हमें स्वयं उससे निकलने का तरीका खोजना होगा।किसी का दिल हम भी दुखाये होंगे और कोई हमारा।हम तब उतना सावधान नहीं होते जब हम किसी के दुखी होने का का

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गुरु और चेला

28 जनवरी 2019
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व्यंग्यगुरु और चेलाविजय कुमार तिवारीबाबा गुरुचरन दास की झोपड़ी में सदा की तरह उजाला है जबकि सारा गाँव अंधकार में डूबा रहता है।पोखरी के बगल में पे़ड के पास उनकी झोपड़ी सदा राम-नाम की गूँज से गुंजित रहती है।बाबा ने कभी इच्छा नहीं की,नहीं तो वहाँ अब तक विशाल मन्दिर बन चुका ह

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स्त्री-पुरुष

29 जनवरी 2019
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कहानीस्त्री-पुरुषविजय कुमार तिवारीइसके पीछे कुछ कहानियाँ हैं जिन्हें महिलाओं ने लिखा है और खूब प्रसिद्धी बटोर रही हैं।कहानियाँ तो अपनी जगह हैं,परन्तु उनपर आयीं टिप्पणियाँ रोचक कम, दिल जलाने लगती हैं।लगता है-यह पुरुषों के प्रति अन्याय और विद्रोह है।रहना,पलना और जीना दोनो को साथ-साथ ही है।दोनो के भीतर

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आतंक

4 फरवरी 2019
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कविता(मौलिक)आतंकविजय कुमार तिवारीचलो, मुझे उस मोड़ तक छोड़ दो,सांझ होने को है,अंधियारे जाया नहीं जायेगा। न हो तो बीच वाले मन्दिर से लौट आना,या उस मस्जिद से,जहाँ सड़क पार चर्च है।अस्पताल तक तो पहुँचा ही देनाचला जाऊँगा उससे आगे। ऐसा नहीं कि हिन्दुओं से डरता हूँ,मुसलमानों से भी नहीं डरता,सिखों या किसी

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दछिन भारत की भौगोलिक यात्रा

6 फरवरी 2019
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दछिन भारत की भौगोलिक यात्रा

6 फरवरी 2019
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पुरानी यादे

7 फरवरी 2019
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पुरानी यादेंविजय कुमार तिवारी1983 में 4 सितम्बर को लिखा-डायरी मेरे हाथ में है और कुछ लिखने का मन हो रहा है। आज का दिन लगभग अच्छा ही गुजरा है।ऐसी बहुत सी बातें हैं जो मुझे खुश भी करना चाहती हैं और कुछ त्रस्त भी।जब भी हमारी सक्रियता कम होगी,हम चौकन्ना नहीं होंगे तो निश्चित मानिये-हमारी हानि होगी।जब हम

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प्रेम का मौसम

9 फरवरी 2019
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प्रेम का मौसमविजय कुमार तिवारीप्रेम का मौसम चल रहा है और बहुत से युवा,वयस्क और स्वयं को जवान मानने वाले वृद्ध खूब मस्ती में हैं।इनकी व्यस्तता देखते बनती है और इनकी दुनिया में खूब भाग-दौड़ है।प्रयास यही है कि कुछ छूट न जाय और दिल के भीतर की बातें सही ढंग से उस दिल तक पहुँच

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चुनाव 2019

10 फरवरी 2019
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चुनाव-2019विजय कुमार तिवारीहम वोट देने वाले हैं।वोट देना हमारा अधिकार है और कर्तव्य भी।यह बहुत संयम, धैर्य और विचार का विषय है।आज से पहले शायद कभी भी हमने इस तरह नहीं सोचा।चुनाव आयोग और हमारे संविधान ने इस विषय में बहुत से दिशा-निर्देश जारी किये हैं।हम सभी सामान्य वोटर को बहुत कुछ पता भी नहीं है।कई

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आत्म-बोध

15 फरवरी 2019
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पहली मुलाक़ात

21 फरवरी 2019
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कवितापहली मुलाकातविजय कुमार तिवारीयह हठ था या जीवन का कोई विराट दर्शन,या मुकुलित मन की चंचल हलचल?रवि की सुनहरी किरणें जागी,बहा मलय का मधुर मस्त सा झोंका,हुई सुवासित डाली डाली, जागी कोई मधुर कल्पना।शशि लौट चुका थानिज चन्द्रिका-पंख समेटे। उमग रहे थे भौरे फूलों कलियों में,मधुर सुनहले आलिंगन की चाह संजो

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शादी की पीड़ा

23 फरवरी 2019
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प्यार ही डसने लगा

28 फरवरी 2019
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प्यार ही डंसने लगाविजय कुमार तिवारीतुम चले गये,जिन्दगी में क्या रहा?हो गये अपने पराये,आईना छलने लगा। तुम चले गये,जिन्दगी में क्या रहा?हर हवा तूफान सी,झकझोर देती जिन्दगी,धुंध में खोया रहा,पतवार भी डुबने लगा। तुम चले गये,जिन्दगी में क्या रहा?चाँद तारे छुप गये हैं,दर्द के शैलाब में,ढल गया दिल का उजाला,

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बदलते हुए लोग

1 मार्च 2019
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प्रश्न कीजिये

5 मार्च 2019
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प्रश्न कीजिएविजय कुमार तिवारीबच्चा जैसे ही अपने आसपास को देखना शुरु करता है उसके मन में प्रश्न कुलबुलाने लगते हैं।वह जानना चाहता है,समझना चाहता है और पूछना चाहता है।जब तक बोलने नहीं सीख जाता,व्यक्त करने नहीं सीख जाता,उसके प्रश्न संकेतों में उभरते हैं।उसे यह धरती,यह आकाश,य

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विज्ञापन

22 मार्च 2019
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कविताविज्ञापनविजय कुमार तिवारीजागते ही खोजती है अखबार,झुँझलाती है-कि जल्दी क्यों नहीं दे जाता अखबार। अखबार में खोजती है-नौकरियों के विज्ञापन। पतली-पतली अंगुलियों से,एक -एक शब्द को छूती हुई,हर पंक्ति पर दृष्टि जमाये,पहुँच जाती है अंतिम शब्द तक। गहरा निःश्वांस छोड़ती है

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महत् चिंतन

4 अप्रैल 2019
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सुखी होने के उपाय

5 अप्रैल 2019
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सुखी होने के उपायविजय कुमार तिवारीसंसार में सभी सुख चाहते हैं,दुख कोई नहीं चाहता,जबकि कोई सुखी नहीं है, सभी दुखी हैं।कबीर दास जी ने कहा है कि सारा संसार दुख से भरा है।मेरा मानना है कि हमें सत्य दिखता नहीं।हम असत्य देखने के आदी हो गये हैं।हम झूठ देखते हैं और अपनी सुविधा से

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मि. ख़ का शहर

9 अप्रैल 2019
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प्रेम के भूख

5 सितम्बर 2019
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प्रेम की भूखविजय कुमार तिवारीसभी प्रेम के भूखे हैं।सभी को प्रेम चाहिए।दुखद यह है कि कोई प्रेम देना नहीं चाहता।सभी को प्रेम बिना शर्त चाहिए परन्तु प्रेम देते समय लोग नाना शर्ते लगाते हैं।प्रेम में स्वार्थ हो तो वह प्रेम नहीं है।हम सभी स्वार्थ के साथ प्रेम करते हैं।प्रेम कर

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नदी के दावेदार

28 सितम्बर 2019
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छमा करना

1 अक्टूबर 2019
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मशाल

4 अक्टूबर 2019
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करूँ-ह्रदय

11 अक्टूबर 2019
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दुःख

12 अक्टूबर 2019
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दुनिया युद्ध के महाविनाश की ओर जा रही है।यदि ऐसा हुआ तो किसी न किसी रुप में हम सभी प्रभावित होंगे।वैसे ही दुनिया में लोग अनेकानेक कारणों से दुखी हैं।हम में से बहुत लोग ऐसे हैं जिन्हे कोई न कोई दुख है।हम मिलकर उनका समाधान खोज सकते हैं और दुखों से बचाव कर सकते हैं।कम से कम हम चर्चा तो करें।कोई न कोई स

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उद्बोधन

22 नवम्बर 2019
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उद्बोधनविजय कुमार तिवारीलम्बे अन्तराल के बाद आज कुछ उद्बोधित होने की प्रेरणा जाग रही है।खिड़की से बाहर की दुनिया बड़ी मनोरम दिख रही है।आसमान नीला और शान्त है।मन भी नीरव-शान्ति की अनुभूति से ओत-प्रोत है।कौन कहता है कि हमारा जन्म दुख-भोग के लिए ही है?हमें स्वयं में डुबकी लगाने नहीं आता।हमारी सारी समस्

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ईशावास्योपनिषद के आलोक में

11 जनवरी 2020
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ईशावास्योपनिषद के आलोक मेंविजय कुमार तिवारीवेदान्त कहे जाने वाले उपनिषदों ने भारतीय जनमानस को बहुत प्रभावित किया है और हमारी चेतना जागृत की है।आज हमारे युवा पथ-भ्रमित और विध्वंसक हो रहे हैं,उन्हें अपने धर्म-ग्रन्थों विशेष रुप से वेदान्त के रुप में जाना जाने वाले उपनिषदों को पढ़ना और उनका अनुशीलन करन

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विवेकानंद के बहाने

12 जनवरी 2020
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विवेकानन्द के बहानेविजय कुमार तिवारीस्वामी विवेकानन्द जी ने उद्घोष किया था,"उठो,जागो और तब तक नहीं रुको जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये।"भारत के उन्हीं महान सपूत की आज जन्म-जयन्ती है।बहुत श्रद्धा पूर्वक याद करते हुए मैं उन्हें नमन करता हूँ।आज पूरा देश उन्हें याद कर रहा है और उनके चरणो में श्रद्धा-सुमन

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निर्भया के बहाने

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निर्भया के बहानेविजय कुमार तिवारीअन्ततः आज २० मार्च २०२० को निर्भया के दोषियों को फांसी हो ही गयी।१६ दिसम्बर २०१२ को निर्भया के साथ दरिन्दों ने जघन्य अपराध किया था।पूरा देश उबल पड़ा था और हमारी सम्पूर्ण व्यवस्था पर नाना तरह के प्रश्न खड़े किये जा रहे थे।हमारा प्रशासन,हमारी न्याय व्यवस्था,हमारा राजनै

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जनता कर्फ्यू और हमारा देश

22 मार्च 2020
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जनता कर्फ्यू और हमारा देशविजय कुमार तिवारीप्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर आज २२ मार्च २०२० को पूरे देश ने अपनी एकता,अपना जोश और अपना मनोबल पूरी दुनिया को दिखा दिया।इस जज्बे को मैं हृदय से सादर नमन करता हूँ।राष्ट्रपति से लेकर आम नागरिकों तक ने ताली,थाली, घंटी,शंख और नगाड़े बजाकर अपना आभार

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कोरोना और स्त्री

25 मार्च 2020
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करोना और स्त्रीविजय कुमार तिवारीकल प्रधानमन्त्री ने देश मेंं कोरोना के चलते ईक्कीस दिनों के"लाॅकडाउन"की घोषणा की है।सभी को अपने-अपने घरों में रहना है।बाहर जाने का सवाल ही नहीं उठता।घर मेंं चौबिसों घण्टे पत्नी के साथ रह पाना,सोचकर ही मन भारी हो जाता है।किसी साधु-सन्त के पास इससे बचाव का उपाय नहीं है।

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महर्षि अरविंद का पूर्णयोग

26 मार्च 2020
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महर्षि अरविन्द का पूर्णयोगविजय कुमार तिवारीमहर्षि अरविन्द का दर्शन इस रुप में अन्य लोगोंं के चिन्तन से भिन्न है कि उन्होंने आरोहण(उर्ध्वगमन)द्वारा परमात्-प्राप्ति के उपरान्त उस विराट् सत्ता को मनुष्य में अवतरण अर्थात् उतार लाने की चर्चा की है।यह उनका एक नवीन चिन्तन है।गीता में दोनो बातें कही गयी हैं

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जिंदगी सुखद संयोगो का खेल है .

27 मार्च 2020
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कहानीजिन्दगी सुखद संयोगों का खेल है।विजय कुमार तिवारीरमणी बाबू को भगवान में बहुत श्रद्धा है।उसके मन मेंं यह बात गहरे उतर गयी है कि अच्छे दिन अवश्य आयेंगे।अक्सर वे सुहाने दिनों की कल्पना में खो जाते हैं और वर्तमान की छोटी-छोटी जरुरतों की लिस्ट बनाते रहते हैं।गाँव के लड़के स्कूल साईकिल पर जाते थे तो व

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धिक्कार है ऐसे लोगो पर

31 मार्च 2020
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धिक्कार है ऐसे लोगोंं परविजय कुमार तिवारीमन दहल उठता है।लाॅकडाउन में भी लाखों की भीड़ सड़कों पर है।भारत का प्रधानमन्त्री हाथ जोड़कर विनती करता है,आगाह करता है कि खतरा पूरी मानवजाति पर है।विकसित और सम्पन्न देश त्राहि-त्राहि कर रहे हैं।विकास और ऐश्वर्य के बावजूद वे अपनी जनता को बचा नहीं पा रहे हैं।आज

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शहर प्रयोगशाला हो गया है

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कविताशहर प्रयोगशाला हो गया हैविजय कुमार तिवारीछद्मवेष में सभी बाहर निकल आये हैंं,लिख रहे हैं इतिहास में दर्ज होनेवाली कवितायें,सुननी पड़ेगी उनकी बातेंं,देखना पड़ेगा बार-बार भोला सा चेहरा।तुमने ही उसे सिंहासन दिया है,और अपने उपर राज करने का अधिकार।दिन में वह ओढ़ता-बिछाता है तुम्हारी सभ्यता-संस्कृति,उ

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मेरे आनंद की बाते

2 अप्रैल 2020
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मेरे आनन्द की बातेंविजय कुमार तिवारीकभी-कभी सोचता हूँं कि मैं क्योंं लिखता हूँ?क्योंं दुनिया को लिखकर बताना चाहता हूँ कि मुझे क्या अच्छा लगता है?मेरी समझ से जो भी गलत दिखता है या देश-समाज के लिए हानिप्रद लगता है,क्यों लोगों को उसके बारे में आगाह करना चाहता हूँ?क्यों दुनिया को सजग,सचेत करता फिरता हूँ

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हर युग में आते है भगवान

3 अप्रैल 2020
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कविताहर युग मेंं आते हैं भगवानविजय कुमार तिवारीद्रष्टा ऋषियों ने संवारा,सजाया है यह भू-खण्ड,संजोये हैं वेद की ऋचाओं में जीवन-सूत्र,उपनिषदों ने खोलें हैं परब्रह्म तक पहुँचने के द्वार,कण-कण में चेतन है वह विराट् सत्ता।सनातन खो नहीं सकता अपना ध्येय,तिरोहित नहीं होगें हमारे पुरुषोत्तम के आदर्श,महाभारत स

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5 अप्रैल 2020 ,रात 9 बजे 9 मिनट का प्रकाश-पर्व

5 अप्रैल 2020
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5 अप्रैल 2020,रात 9 बजे,9 मिनट का प्रकाश-पर्वविजय कुमार तिवारीविश्वास करें,यह कोई सामान्य घटना घटित होने नहीं जा रही है और ना ही आज का प्रकाश-पर्व एक सामान्य प्रकाश-पर्व है।ब्रह्माण्ड की ब्रह्म-शक्ति का आह्वान हम सम्पूर्ण देशवासी प्रकाश-पर्व मनाकर करने जा रहे हैं।हमारे भीतर स्थित वह दिव्य-चेतना जागृ

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विपत्ति में ही

7 अप्रैल 2020
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विपत्ति में हीविजय कुमार तिवारीप्राचीन मुहावरा है,"विपत्ति में ही अच्छे-बुरे की पहचान होती है।"मानवता के सामने सबसे भयावह और संहारक परिस्थिति खड़ी हुई है।पूरी दुनिया बेबस और लाचार है।हमारे विकास के सारे तन्त्र धरे के धरे रह गये हैं।कुछ भी काम नहीं आ रहा है।स्थिति तो यह हो गयी है कि जो जितना विकसित ह

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हमउम्र बूढ़ों का परिवार

8 अप्रैल 2020
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कविताहमउम्र बूढ़ोंं का परिवारविजय कुमार तिवारीमैंने सजा लिया है सारे हमउम्र बूढ़ों को अपने फ्रेम में,बना लिया है मित्रों का बड़ा सा समूह। रोज देखता रहता हूँ उनके आज के चेहरे,चमक उठती है पुतलियाँजीवन्त हो उठते हैं उनसे जुडे नाना प्रसंग। मुरझाये गालों और मद्धिम रोशनी लिये आँखें,आज भी कौंंध जाता है उनक

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खूबसूरत आँखोंवाली लड़की-१

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कहानीखूबसूरत आँखोंवाली लड़की-1विजय कुमार तिवारीसालों बाद कल रात उसने ह्वाट्सअप किया,"हाय अंकल ! कहाँ हैं आजकल?"उसने अंग्रेजी अक्षरों में "प्रणाम" लिखा और प्रणाम की मुद्रा वाली हाथ जोड़ेे तस्वीर भी भेज दी।प्रमोद को सुखद आश्चर्य हुआ और हंसी भी आयी।"कैसे याद आयी अंकल की इतने सालों बाद?"प्रमोद ने यूँ ही

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खूबसूरत आँखोंवाली लड़की-२

12 अप्रैल 2020
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कहानीखूबसूरत आँखोंवाली लड़की-2विजय कुमार तिवारीप्रमोद बाबू भी इस माहौल से अछूते नहीं रहे।उनका मिलना-जुलना शुरु हो गया।कार्यालय में बहुत लोगों के काम होते जिसे बड़े ही सहृदय भाव से निबटाते और कोशिश करते कि किसी को कोई शिकायत ना हो।स्थानीय लोगों से उनकी अच्छी जान-पहचान हो गयी है।सुरक्षा बल के लोगों के

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खूबसूरत आँखोंवाली लड़की-३

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कहानीखूबसूरत आँखोंवाली लड़की-3विजय कुमार तिवारी"मैं किसी से नहीं डरता,"मोहन चन्द्र पूरी बेहयायी पर उतर आये।प्रमोद बाबू ने अपने आपको रोका।सुबह की ताजी हवा में भी गर्माहट की अनुभूति हुई और दुख हुआ।हिम्मत करके उन्होंने कहा,"मोहन चन्द्र जी,दूसरों की जिन्दगी में टांग अड़ाना ठीक नहीं है।आपकी बात सही हो तब

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खूबसूरत आँखोंवाली लड़की-४

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कहानीखूबसूरत आँखोंवाली लड़की-4विजय कुमार तिवारी"ऐसा नहीं कहते,"प्रमोद बाबू भावुक हो उठे,"इतना ही कह सकता हूँ कि तुम अपनी उर्जा इन सब चीजों में मत लगाओ।"थोड़ा रुककर उन्होंने कहा,"दुनिया ऐसी ही है,लोग कहेंगे ही।तुम्हें तय करना है कि स्वयं को इन वाहियात चीजों में उलझाती हो और अपने को बरबाद करती हो या ब

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खूबसूरत आँखोंवाली लड़की-६

15 अप्रैल 2020
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कहानीखूबसूरत आँखोंवाली लड़की-6विजय कुमार तिवारीप्रमोद बाबू दोनो महिलाओं और मोहन चन्द्र जी की भाव-भंगिमा देख दंग रह गये।सुबह दूध वाले की बातें सत्य होती प्रतीत होने लगी।उन्होंने मौन रहना ही उचित समझा।अन्दर से पत्नी भी आ गयी।मोहन चन्द्र बाबू उन दोनो महिलाओं से कुछ पूछते-बतियाते रहे।थोड़ी देर में पत्नी

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हमारी शादी की सैंतीसवी वर्षगाठ

27 अप्रैल 2020
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हमारी शादी की सैंतीसवीं वर्षगांठविजय कुमार तिवारीआज 27 अप्रैल को हम अपनी शादी की सैंतीसवीं वर्षगांठ मना रहे हैं और सम्पूर्ण मानवता को बताना चाहते हैं कि परमात्मा के आशीर्वाद से,विगत सैंतीस वर्षों से चला आ रहा हमारा अटूट सम्बन्ध पूर्णतः उर्जावान और मधुर प्रेम से भरा हुआ है।आप सभी सुहृदजनों,सखा-सम्बन

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तुम्हारे प्रेम के नाम-२

1 मई 2020
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कहानीतुम्हारे प्रेम के नाम-2विजय कुमार तिवारीदुनिया तो वही है जो सबकी होती है परन्तु मेरे लिए जैसे बिल्कुल अजनबी हो चुकी है।जो जानी-पहचानी दुनिया थी उसे मैं बहुत पीछे छोड़ आया हूँ और यह नयी जगह,नयी दुनिया जैसे मुझे आत्मसात करने को तैयार ही नहीं है।इस दृष्टि से समूची नारी जाति के प्रति मेरा मन पूरी श

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तुम्हारे प्रेम के नाम-३

3 मई 2020
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कहानीतुम्हारे प्रेम के नाम-3विजय कुमार तिवारीतुमने अनेकों बार कुरेदा है मुझे,"कैसे मैं अपने को बचाता रहा और कैसे इस मतलबी दुनिया की शातिर चालों को समझ पाया।"तुमसे खुलकर कहना चाहता हूँ,सच बयान करता हूँ कि यह कोई मुश्किल काम नहीं है।हर व्यक्ति को थोड़ा सजग रहना चाहिए।थो

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वासना गद्दारो और नशेड़ियों का देश

5 मई 2020
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वासना,गद्दारों और नशेड़ियों से भरा देशविजय कुमार तिवारीवासना,गद्दारी या नशे में डूबे रहना यह सब मनुष्य के अधःपतन का द्योतक है और आज की स्थिति देखकर लगता है कि हमारे देश में बहुतायत ऐसे ही लोग हैं।मैं मानता हूँ कि हमे निराश नहीं होना चाहिए परन्तु ये परिदृश्य कोई दूसरी कहानी तो नहीं कह रहे।कल देश में

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डा नन्द किशोर नवल जी की यादें

14 मई 2020
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डा0 नन्द किशोर नवल जी की यादेंविजय कुमार तिवारीपरमादरणीय मित्र,प्रख्यात आलोचक और साहित्यकार डा.नन्द किशोर नवल जी नहीं रहे।मेरा तबादला धनबाद से पटना हुआ था।9अप्रैल 1984 की शाम में बी,एम.दास रोड स्थित मैत्री-शान्ति भवन में प्रगतिशील लेखक संघ की ओर से"राहुल सांकृत्यायन-जयन्ती"का आयोजन था।भाई अरुण कमल,ड

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