सुखी होने के उपाय
विजय कुमार तिवारी
संसार में सभी सुख चाहते हैं,दुख कोई नहीं चाहता,जबकि कोई सुखी नहीं है, सभी दुखी हैं।कबीर दास जी ने कहा है कि सारा संसार दुख से भरा है।मेरा मानना है कि हमें सत्य दिखता नहीं।हम असत्य देखने के आदी हो गये हैं।हम झूठ देखते हैं और अपनी सुविधा से सुख-दुख की परिभाषा गढ़ लिये हैं।अकर्मण्य़ होकर हमने स्वयं को पुरुषार्थहीन बना लिया है।जो हम चाहते हैं जैसे प्रेम,सहानुभूति,करुणा,दया या सहयोग,यही सारी चीजें इसी क्षण से हम दूसरों को देना शुरु कर दें।लोग सुखी होने लगेंगे।हम भी सुखी होंगे। तर्क मत दीजिए।इसे अपने जीवन में उतारिये और देना शुरु कर दीजिए।
क्षमा एक ऐसा गुण है,यदि हमारे जीवन में उतर आया तो हमारी सारी दुश्मनी खत्म हो जायेगी।कमजोर व्यक्ति क्षमा नहीं करता।हमारा क्रोध और अहंकार ही हमारी कमजोरी है। हमेशा हम प्रतिशोध में जलते रहते हैं।कभी-कभी अपने बीते दिनों,महीनों का मूल्यांकन करना चाहिए।पता चलेगा कि क्रोध और अहंकार ने हमें कुछ भी नहीं दिया और उपर से हमारी शान्ति चली गयी।दूसरे का गुण देखना चाहिए और अपने दोषों पर निर्मम दृष्टि रखनी चाहिए। सारे झगड़े की समस्या यही है।सारी समस्याओं के लिए हम दूसरे को दोषी मानते हैं और अपने को पाक-साफ।ऐसा नहीं है। यदि हम दुखी हैं तो उसका कारण भी हम ही हैं।जिस दिन कोई भी व्यक्ति किसी भी घटना के लिए स्वयं को उत्तरदायी मानना शुरु कर देगा,उसके जीवन में उजाला हो जायेगा।
अक्सर घरों में लोग एक-दूसरे की उपेक्षा करते हैं,एक-दूसरे को नीचा दिखाते हैं,एक-दूसरे पर विश्वास नहीं करते,अभद्र व्यवहार करते है और गाली-गलौंज पर उतर आते हैं।इसका नुकसान बहुत होता है। जब तक समझ पाते हैं,बहुत देर हो चुकी होती है।इससे बचने का बहुत ही सरल उपाय है। एक-दूसरे से बातें कीजिए। समस्या पर बातें कीजिए। अक्सर ऐसे हालात में एक-दूसरे को समझाने-सीखाने लगते हैं। सच तो यह है कि एक-दूसरे को सुधारने लगते हैं। एक-दूसरे को देखने के बजाय,उस समस्या पर गौर कीजिए। समस्या के कारणों को दूर कीजिए न कि एक-दूसरे को।घर को घर बनाईये,युद्ध का अखाड़ा नहीं। इस जन्म में परमात्मा ने एक से दूसर को जोड़ा है। सद्गुणों के साथ सुख पूर्वक जीना चाहिए। हमेशा सजग रहिए कि कभी भी कोई बात सम्बन्धों को प्रभावित ना करे।हम सुखी हो जायेंगे।
(प्रश्न भी करें और अपने अनुभवों की चर्चा करें।)