चुनाव-2019
विजय कुमार तिवारी
हम वोट देने वाले हैं।वोट देना हमारा अधिकार है और कर्तव्य भी।यह बहुत संयम, धैर्य और विचार का विषय है।आज से पहले शायद कभी भी हमने इस तरह नहीं सोचा।चुनाव आयोग और हमारे संविधान ने इस विषय में बहुत से दिशा-निर्देश जारी किये हैं।हम सभी सामान्य वोटर को बहुत कुछ पता भी नहीं है।कई दिनों से कुछ बातें मुझे व्यथित कर रही हैं।आप में से बहुत लोग मेरी तरह सोच रहे होंगे और चिन्ता कर रहे होंगे।हमारी जागरुकता बहुत जरुरी है।समय आ गया है कि हम जागरुक हों और चुनाव के महत्वपूर्ण दायित्व का सही निर्वाहन करें। निम्न विन्दुओं पर आपका ध्यान जरूरी है--
1-हम किसे चुने---हम उन्हीं में से किसी को चुन सकते हैं जो प्रत्याशी के रुप मे नामांकन करते हैं।अक्सर हम जानते भी नहीं कि हमारा प्रत्याशी कैसा है और हमारा सही प्रतिनिधित्व कर भी पायेगा कि नहीं।मुझे लगता है कि हमें सही पार्टी का चुनाव करना चाहिए।हर पार्टी जीतने वाले को टिकट देती है,भले ही वह कोई भी हो। ऐसे में हमें पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को देखना चाहिए।निर्दलीय और व्यक्तिगत कारणों से पार्टी से निकल नया संगठन खड़ा करने वालों को खूब सोच-समझकर ही वोट देना चाहिए क्योंकि ऐसे लोग जीतने के बाद सौदेबाजी करते हैं और अक्सर देश-हित के विरुद्ध प्रभावित करते हैं।ऐसे लोगों की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षायें देश-हित से बड़ी होती हैं और लोकतन्त्र को खतरा में डालने मे देर नहीं करते।
2-जाति-धर्म और क्षेत्र आधारित पार्टियाँ हमें बाँट कर ही राजनीति करती हैं।हमेशा इस सच्चाई को ध्यान में रखना चाहिए कि चाहे हम किसी भी जाति-धर्म के हों,हम सभी को साथ ही रहना है।आज हमारे समाज की एकता में दरार इन्हीं लोगो के चलते है और स्थिति बहुत भयावह है।हमें किसी का झंडा उठाने की जरुरत नहीं है और ना इनके पीछे जाने की जरुरत है।मतदाता जितना मौन रहेगा उतना ही ये बेचैन रहेंगे। हमारा मुखर होना इन्हें ताकत देता है। इनकी हवा बनती है।इनके पास बहुत से औजार विकसित हो गये हैं जो अन्ततः हमारे विरुद्ध ही प्रयोग होते हैं।
3-उस नेतृत्व को पहचानो जो हमारे-आपके बीच से निकला है और हमारी जरुरतें समझता है।चन्द वर्षो में जिसने अकूत सम्पत्ति बना ली हो,वह हमारा कर्णधार नहीं होना चाहिए।हम इनकी चकाचौंध में ना जायें और ना ही इनकी दासता स्वीकारें। इन्हें काम करने के लिए चुनें जो हमारे लिए,देश के लिए काम करें। ये सुख भोगते हैं और हम पर शासन करते हैं। हमारे वोट की बहुत ताकत है।हमें इनके किसी भी झाँसें में नहीं आना चाहिए। चूक जाने पर पछताना पड़ेगा । कभी सोचो,दुनिया के देश कहाँ पहुँच गये और हम कहाँ है?
4-प्रचार में तथ्यों और भाषा को देखना बहुत जरुरी है।अक्सर ये भ्रामक प्रचार करते हैं। एक-दूसरे पर गलत और झूठे आरोप लगाते हैं।ध्यान देने पर समझ में आ जाता है कि कौन झूठ प्रचार कर रहा है।इनकी भाषा में गाली-गलौंज होती है।मतदाता को निर्ममतापूर्वक इनका मूल्यांकन करना चाहिए।इनकी कोशिश होती है कि हमारा खून खौले,भावनायें जागें और हम बँट जायें।समाज मे लोग एक-दूसरे के विरुद्ध हो जायें और हमारा भाईचारा खत्म हो जाये।जो अभद्रता दिखाये,झूठा आरोप लगाये और गाली-गलौज करे,उसका बहिस्कार करें,उसे वोट ना दें।
5-मुफ्त का लेना बन्द करो।इस प्रवृत्ति ने बहुत नुकसान किया है और आज गृह-युद्ध जैसे हालात बनते जा रहे हैं।हम एक-दूसरे के सामने खड़े हो गये हैं और मरने-मारने पर उतारु हैं।कभी सोचा करो-इतने सालों में हमारा विकास क्यों नहीं हुआ?हम सुविधाभोगी हो गये हैं। बिना किये सारा कुछ पाना चाहते हैं। हमारी अन्तरात्मा धिक्कारती क्यों नहीं?हमारे भीतर की चेतना जागती क्यों नहीं? जो जहाँ है वहीं गन्दगी फैला रहा है,बेईमानी कर रहा है।हमें डर नहीं लगता। समाज स्वतः सुधर जायेगा यदि हम में से प्रत्येक अपने को सुधार ले।पीढ़ियाँ नष्ट हो रही हैं और हमारा भविष्य अंधेरे में है।अब तो जागो मेरे प्यारे भाईयों। कहीं से तो शुरुआत हो।
कहने लिखने को बहुत सी बातें हैं। मेरा किसी से वैर नहीं है और ना ही सबको सुधारने का दावा ही है। इतनी ही ईच्छा है कि हमारा देश जाग जाये और हम सभी प्रेम से सुखपूर्वक साथ-साथ रहें। देश के दुश्मनों को पहचानने की जरुरत है,देश के भीतर के गद्दारों को पहचानना है। इनकी संख्या बहुत कम है। इनके बहकावे में नहीं आना है। इनसे सावधान होना है।स्वार्थ और बहकावे से उठकर जब हम निर्णय लेंगें तभी हम और हमारा देश बिकसित होगा। चुनाव-2019 एक ऐसा ही सुअवसर है जब हमें अपने और अपने देश के लिए सही निर्णय लेना है।