संकल्प और विकल्प मन के ही दो भाव है, इसलिए मन को भगवान ने निर्णय लेने की क्षमता नहीं दी है,
उस कार्य के लिए भगवान ने बुद्धि को नियुक्त कर दिया प्रेम बुद्धि कि नहीं मन की चीज है, इसलिए प्रेम के संदर्भ में व्यक्ति हमेशा संकल्प और विकल्प की स्थिति में रहता है ।
इसलिए कभी उसे वह चीज सही लगती है ।और कभी गलत लगती है। कभी उसे लगता है सामने वाले के मन में भी मेरे लिए ऐसे ही भाव है और दूसरे क्षण लगता है कि ,नहीं,,,
अवनी भी अपने मन के हाथों मजबूर होकर यह निर्णय नहीं ले पा रही थी कि मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है? ।जिस राजीव को मैं बिल्कुल पसंद नहीं करती थी आज क्यों वह मेरे दिलो दिमाग से उतर ही नहीं रहा,
नीलम उस दिन सच कह रही थी, कि मुझे राजीव से सचमुच प्यार हो गया है। इसी उधेड़बुन में अवनी कॉलेज से आने के बाद बहुत देर तक चुपचाप बैठी रहती है।
नीलम कपड़े वगैरह बदलकर आती है तो अवनी को ऐसे बैठे देख पूछती है, कि क्या हुआ? ,अवनी ने कहा कुछ नहीं तो नीलम बोली ऐसे क्यों बैठी हैॽ
जा कपड़े वगैरह बदल अवनी बड़े बुझे मन से उठ कर कपड़े बदलने चली जाती है। अब तक तो नीलम की समझ में अच्छी तरह आ गया था, की अवनी मयंक के लिए नहीं राजीव के लिए आर्ट डिपार्टमेंट तक जाती है ।
नीलम मन में सोचती हैं, तो क्या ॽअवनी को सचमुच राजीव से प्रेम हो गया है। उधर राजीव जब यह जान जाता है की अवनी वापस हॉस्टल आ गई है,
तो उसे बेचैनी सी महसूस होती है, उसे लगता है अब वह बिना अवनी को देखें एक पल भी नहीं रह सकता राजीव तैयार होता है, मयंक उसको तैयार होते देख पूछता है, इस समय कहां जा रहे हो?
राजीव बोला कमरे में कुछ अच्छा नहीं लग रहा है, बाहर थोड़ा घूम कर आता हूं मयंक को, राजीव का या बदला रूप परेशान कर रहा था ,
उसे लग रहा था, कहीं राजीव किसी गलत दिशा में चलकर बड़ी मुसीबत में ना पड़ जाए एक अच्छे और सच्चे दोस्त होने के नाते मुझे उसे रास्ता जरूर दिखाना चाहिए।
फिर चाहे वह मेरी बात माने या उसका प्रतिरोध करें किंतु मैं उसे सही राह जरूर दिखाऊंगा मुझे जहां तक समझ में आ रहा है ,
राजीव अवनी के प्यार में पड़ गया है जो उसकी और उसके परिवार की बर्बादी का कारण बन सकती है ,अगर मैंने उसे पहले ही रोक लिया तो हो सकता है।
। मैं उसे इस बर्बादी से बचाने में कामयाब हो जाऊं, मयंक ने कहा रुक यार मैं भी तेरे साथ चलता हूं ,राजीव बोला तुम्हें पढ़ना था, मयंक बोला पढ़ाई तो होती रहेगी तेरे साथ थोड़ा घूम कर आता हूं
,राजीव मयंक की बात का विरोध नहीं कर सका और मयंक के साथ बाहर निकल आता है, बाहर निकलकर राजीव गर्ल्स हॉस्टल की ओर जाने लगता है।
।मयंक राजीव को टोकते हुए कहता है, कि हम उधर क्या करने जा रहे हैं ।राजीव कुछ बोलता नहीं और तेज कदमों से आगे बढ़ जाता है,
अब तो मयंक को पूरा यकीन हो गया था, कि अब राजीव को वापस लाना नामुमकिन है अब उसे अवनी से दूर कोई नहीं कर सकता जिस पागलपन और जिस बावरे पन से राजीव भगा जा रहा था
, मयंक उसको रोक न सका बस उसके साथ चलता रहा हॉस्टल के गेट पर पहुंचकर राजीव के कदम ठिठक जाते हैं, एक पल के लिए राजीव भी सोचने लगता है क्यों आ गया फिर राजीव ने सोचा शायद एकाध बार अवनी हॉस्टल के गेट तक आए, तो मैं कम से कम उसे देख तो लूंगा इसी चाह में वह चुपचाप हॉस्टल गेट के पास खड़ा हो जाता है ।उसके पीछे चलते हुए मयंक भी उसके समीप आ जाता है ।और पास आकर कहता है राजीव मेरी बातें इस समय तुझे समझ में नहीं आएंगी लेकिन एक बार ठंडे दिमाग से सोचना जरूर तुम्हारा अवनी का कोई मेल नहीं है, तुमने कभी धरती और आकाश को मिलते हुए देखा है अगर देखा होगा तब तो संभव है और अगर नहीं देखा होगा तो तुम्हारा अवनी का मेल असंभव है ,राजीव मयंक से कहता है ,कि तुम मेरे नाम को हमेशा अवनी के साथ क्यों जोड़ रहे हो मैं तो उनका बहुत सम्मान करता हूं और उसके घर के प्रत्येक सदस्यों का भी जैसा तुम सोच रहे हो वैसा कुछ नहीं है और रही बात धरती और आकाश के मिलन की तो कहीं ना कहीं यह मिलते जरूर होंगे कोई ऐसा कोना होता होगा जहां इनका मिलन संभव होता होगा ।मयंक राजीव की आंखों में प्रेम के पागलपन को देखकर यह समझ चुका था ।कि अब इस को समझाया नहीं जा सकता मयंक बोला अब बाहर की बहुत हवा खा ली ,चलते चलते हम लोग दूर निकल आए अब चलो अपने कमरे पर चलते हैं ।राजीव बोला थोड़ी देर रुक जाओ फिर चलते हैं ,मयंक मन में सोचता है थोड़ी देर बाद क्या यहां अवनी गेट के बाहर आ जाएगी ॽ लेकिन वह राजीव से कुछ कहता नहीं, कहते हैं कभी कभी जब हम कुछ चीजों को अनायास ही पा जाते हैं। तो हमें लगता है ,भगवान का हमारे प्रति यह कोई अच्छा संकेत है उसे हम अपने मन के आधार पर निश्चित कर लेते हैं की प्रभु भी हमारे साथ हैं,, आज राजीव के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ गेट पर खड़े हुए राजीव को 10:15 मिनट हो चुके थे मयंक बार-बार उसकी ओर देख रहा था कि कब राजीव हमारे साथ वापस चले किंतु तभी हॉस्टल के गेट से बाहर आती दो लड़कियां मयंक को दिखी, मयंक ने घबराकर अपना मुंह पीछे की ओर कर लिया और मन ही मन सोचने लगा यह लड़का तो मेरी बेज्जती भी कराएगा अभी यह लड़कियां मन में सोचेंगे कि ,यह दोनों लड़के गर्ल्स हॉस्टल के बाहर जरूर किसी लड़की का इंतजार कर रहे होंगे खुद तो बावरा बना है, और साथ में मुझे भी इसने अपने साथ बावरा बना लिया, राजीव ने तो उनकी तरफ ध्यान भी नहीं दिया उसकी नजरें तो किसी और को ढूंढ रही थी वह चुपचाप गेट की ओर देखता खड़ा रहा उन दो लड़कियों में से एक लड़की राजीव के समीप आती है, और कहती है पहचाना राजीव उसको नजर उठा कर देखता है और कहता है माफी चाहूंगा मैंने आपको पहचाना नहीं वह लड़की हंसते हुए कहती है अरे मैं तुम्हारे क्लास में ही पढ़ती हूं, मयंक सोचने लगता है कि जो लड़का रोज क्लास में उपस्थित रहकर अपने क्लास की लड़की तक को नहीं पहचानता हो उसके ऊपर यह कैसा इश्क का भूत सवार हुआ है। आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउतर 🙏🙏। क्रमशः।।।।।