राजीव के कमरे से निकलकर अवनी और नीलम सीधे हॉस्टल की ओर चली जाती है नीलम बहुत तेज कदमों से चलती रहती है ।
अवनी नीलम से कहती है नीलम थोड़ा धीरे चलो नीलम ने कहा मैडम हमें आए कितना देर हुआ शायद आपको पता नहीं ?
आप राजीव जी के साथ पूरे दो घंटे रही अवनी आश्चर्यचकित होते हुए कहती है कि सच में मैं राजीव के साथ दो घंटे रही, पर मुझे तो ऐसा महसूस हुआ कि मानो मैं चंद मिनटों में राजीव से दूर हो गई।
नीलम ने कहा इसीलिए प्रेम में समय का पता नहीं चलता व्यक्ति जिस से बेपनाह मोहब्बत करता है ।वह उससे दूर जाने की सोच भी नहीं सकता और पास रहने में उसे वक्त का पता ही नहीं चलता,
नीलम और अवनी हॉस्टल पहुंच कर रूम में बैठी रहती हैं। तभी अवनी को बुलाने, वार्डन ने आया आंटी को भेजा आया आकर बोली अवनी सिंह ठाकुर आपको नीचे वार्डन ने अपने रूम में बुलाया है।
अब अवनी बुरी तरह डर जाती है उसके साथ नीलम भी डर जाती है ,कि कहीं राजीव के रूम में जाने वाली बात वार्डन को तो नहीं पता चल गई ?
अगर पता चल गई होगी तो वह सीधे घर पर ही कंप्लेंन करेगी और ठाकुर साहब तो पहले से ही अवनी से नाराज हैं अब अपनी नाराजगी व्यक्त करने का बहाना मिल जाएगा,
फिर भी डर को छुपाती हुई अवनी नीलम से कहती है नीलम तुम भी मेरे साथ नीचे चलो नीलम बोली मैं नीचे नहीं आऊंगी डर के मारे मेरे मुंह से कुछ निकल गया तो हम बुरे फंसेगे ??
तब अवनी अकेले ही नीचे जाती है नीचे स्टाफ रूम में रूद्र भैया को बैठे देख अवनी उनके समीप जाती है रुद्र उस दिन के बाद से अवनी से नाराज रहता है।
वह अवनी की ओर न देखकर नीचे जमीन देखता रहता है, रुद्र को इस तरह देखकर अवनी कहती है कि मेरी वजह से आप लोगों को परेशानी हो रही है।
रूद्र प्रताप ने कहा मुझे कोई दिक्कत नहीं है ना कोई परेशानी है बस एक उलझन है जो धीरे-धीरे शांत हो जाएगी इस पर अवनी ने कहा कैसी उलझन भैया, ??
रुद्र प्रताप ज्यादा कुछ कहने के मूड में नहीं थे इसलिए कहते हैं कि तुम नहीं समझोगी और अवनी से मिलने के बाद रूद्र प्रताप वहां से अवनी को धमकी देते हुए कि तुम अब राजीव से कभी नहीं मिलोगी,,,,
यह कहते हुए रूद्र प्रताप हॉस्टल से बाहर निकल जाते हैं और अवनी से कहते हुए जाते हैं कि जल्दी मैं फिर आऊंगा अवनी बोली हां आओ भैया मुझे कोई दिक्कत नहीं है।
दूसरे दिन नीलम और अवनी जब कालेज जाती हैं तो अवनी की नजर सबसे पहले राजीव की सीट की ओर जाती है राजीव वहां बैठा दिखाई नहीं देता तो अवनी चारों ओर देखने लगती है,
अवनी को इस प्रकार कुछ ढूंढता देख नीलम कहने लगती है कि क्या खो गया है,? तुम क्या ढूंढ रही हो ? अवनी कहती हैं राजीव अपनी सीट पर नहीं है ।
तो नीलम ने कहा नहीं है तो क्या हो गया,? थोड़ी देर बाद आ जाएगा ?अभी कौन सा लेक्चर शुरू होने वाला है। वैसे भी वह अपना लेक्चर कभी मिस नहीं करता आज ऐसा क्या काम आ गया कि राजीव ने अपनी क्लास छोड़ दी ?
अवनी नीलम से बताती है कि कल रुद्र भैया आए थे??नीलम कहती तू उसकी कुछ ज्यादा ही चिंता कर रही है जो तेरे लिए और उसके लिए दोनों के लिए बुरा है।
तभी उसे कुछ दूरी पर राजीव आता हूंआ दिखाई देता है अवनी लपक कर राजीव के समीप जाती है और कहने लगती है मैं कितनी देर से यहां डिपार्टमेंट में तुम्हारा वेट कर रही हूं और तुम हो ,,,
कि मेरी परवाह ही नहीं है राजीव ऐसी बात नहीं है मुझे जरा सर ने बुलाया था इस कारण मै लाइब्रेरी की तरफ चला गया था अवनी से राजीव कहता है ।
कि क्लास खत्म होने के बाद क्या आप मुझसे मिलेंगी अवनी ने कहा आप नहीं तुम कहो राजीव तो मुझे अच्छा लगेगा राजीव ने कहा जैसा तुम ठीक समझो,
उधर ठाकुर साहब और ठकुराइन अवनी को लेकर काफी चिंतित रहते हैं, उन्हें तो बार-बार यही लगता है कि कहीं ऐसा ना हो की अवनी कुछ गलत कदम उठा ले ।
और उन्हें पता ही ना चल पाए किंतु ठाकुर साहब इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि अवनी उनके खिलाफ कभी नहीं जाएगी जब-जब अखंड प्रताप इस विषय में बात करना चाहते तो वह यह कह कर टाल देते कि आप चिंता ना करें इस विषय पर मेरी अवनी से बात हो गई है ।
और वह ऐसा कुछ नहीं करेगी जिससे गांव वालों के सामने और समाज के सामने हमें लज्जित होना पड़े बेचारे अखंड प्रताप चुप हो जाते।
लेकिन उनके मन में कहीं ना कहीं यह भय जरूर रहता, अगर अवनी कुछ कर ही लेगी तो हम कर ही क्या सकते हैं ?
लेकिन ठाकुर साहब के विश्वास को देखकर वह कुछ बोलते नहीं थे इधर अवनी ने तो अब पूरी तरह से सोच लिया था कि वह राजीव की होकर रहेगी इसके लिए वह हर कीमत चुकाने को तैयार थी ।
अब तो अवनी और राजीव अक्सर बिना किसी भय और बिना किसी की परवाह किए क्लास के बाहर मिलने लगे ज्यादातर विद्यार्थी उनके विषय में तरह तरह की बातें भी करने लगे।
लेकिन इससे उनको कोई फर्क नहीं पड़ता जहां आग होती है वहां धुआ तो जरूर उठता है ?धीरे-धीरे यह बात पूरे कॉलेज कैंपस में फैल जाती है,
राजीव और अवनी के किस्से हर एक जुबां पर रहने लगे बात फैलते फैलते रूद्र प्रताप के भी कानों में पड़ी किंतु रुद्र प्रताप ने सोचा सुनी सुनाई बातों पर विश्वास क्यों करूं ?
पहले जब तक मैं अपने आंखों से नहीं देखता मैं मान नहीं सकता कि अवनी बाबा के खिलाफ जाएगी ??और रही उस राजीव की तो उसे तो मैं देख लूंगा,??
मुझे राजीव को नहीं अवनी को रोकना होगा क्योंकि जिस तरह से लोग बता रहे हैं मुझे विश्वास नहीं होता कि अवनी ऐसा कुछ कर सकती है।
इधर अवनी राजीव के प्रेम में पागल हो जाती हैं उसे तो राजीव की एक क्षण की जुदाई बर्दाश्त नहीं होती राजीव भी हर पल हर समय उसका साथ ही चाहता है ।
दोनों कॉलेज कैंपस में एक पेड़ की छांव के नीचे एक दूसरे के हाथों में हाथ डाले एकदम पास पास चिपक कर बैठे रहते हैं आने वाले भविष्य के सपनों में खोए रहते हैं।
यह खबर ही नहीं रहती कि कॉलेज कैंपस में घूमने वाला स्टूडेंट उनको देखकर क्या कह रहा है ?उनके बारे में क्या सोच रहा है? इन सबसे बेखबर वह दो प्रेम पुजारी एक दूसरे में डूब जाने को आतुर है।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउत्तर ॽॽॽ 🙏🙏 क्रमशः