क्या हम प्रेम को परिधि मे बांध सकते हैं। यदि हां तो उसका मानक क्या होना चाहिए ?क्या कोई सच्चा प्रेम परिधि का गुलाम है, अथवा जो प्रीत की सीमाओं को तोड़ दे वही सच्चा प्यार है।
मयंक के घर चले जाने के बाद राजीव एकदम अकेला पड़ गया, और अकेलापन अपने आप हमें उस ओर ले जाता है जहां हम जाना चाहते हैं,
तो राजीव भी अवनी की यादों में खो जाता है। उसका मन तर्क वितर्क करने की स्थिति में नहीं था,। वह या नहीं जानना चाहता कि अवनी भी उस से प्रेम करती है या नहीं, किंतु "भगवत गीता'के निस्वार्थ प्रेम की राह पर चल पड़ा था
, बहुत कोशिश करने के बाद जाने कब आधी रात के बाद उसको नींद आ गई, फिर सुबह देर तक सोता रहा अचानक उसकी नींद खुली तो बड़े आश्चर्य से वह बोला अरे आज मैं कितनी देर तक सोता रह गया।
मुझे तो ट्रेन की टिकट लेने स्टेशन जाना था अब पता नहीं टिकट मिलेगी भी कि नहीं फ्रेश होकर तुरंत कपड़े पहन कर बाहर निकल गया भागते हुए स्टेशन की तरफ जाता है।
और टिकट काउंटर पर पहुंचकर टिकट खरीदता है। फिर मन में सोचता है भगवान का लाख-लाख शुक्र है, कि आज मुझे टिकट मिल गया वरना मैं यहीं रह जाता और बापू की तबीयत भी नहीं ठीक है।
, मुझे उनके पास रहना चाहिए, और अपने कमरे पर वापस आ जाता है। मयंक के बिना आज उसका कुछ खाना खाने का भी मन नहीं हो रहा था, कि न्तू सामने कुछ सब्जियां पड़ी देखकर राजीव सोचता है ।
अगर नहीं बनाऊंगा तो यह सब्जियां खराब हो जाएंगी और इसे फेंकना पड़ेगा इससे अच्छा कुछ बना कर खा ही लेता हूं , राजीव खाना बनाने में व्यस्त हो गया,
, इधर हॉस्टल से अब नीलम भी जा चुकी थी, राजीव खाना खाने के बाद अपना सब समान व्यवस्थित करने में लग जाता है।
बहुत ही सलीके से दोनों बेड पर चादर बिछाई और कमरा एकदम साफ सुथरा करके बैग में कुछ कपड़े डाल कर एक तरफ़ रख देता है।
फिर खाना खाने जैसे ही बैठा तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी राजीव सोचने लगा कि इस वक्त कौन आया होगा ?उठकर उसने दरवाजा खोला, सामने उसके ट्यूशन वाले स्टूडेंट थे,
,बच्चों ने राजीव को नमस्ते किया और पूछने लगे सर कितने दिन की छुट्टी रहेगी, राजीव को तो याद ही नहीं था, की ट्यूशन वाले बच्चों को घर जाने के पहले यह बताना है ।
कि वह घर जा रहा है बच्चों को अंदर बुलाया और बोला अरे मैं तो यह बताना ही भूल गया होली के बाद मैं वापस आ जाऊंगा तब तक तुम लोग पढ़ाई करना,
और हां खाना खाओगे बच्चे एक स्वर में बोलें नहीं सर आप खा लीजिए। हमलोग चलते हैं। बच्चों के जाने के बाद राजीव भी निकल जाता है।
गांव पहुंचकर राजीव अपने बापू की तबीयत को लेकर परेशान हो उठता है। वह कहता है किसी और डॉक्टर को दिखाऊं क्या,??
इस पर उसके पिता कहते हैं कि अब डॉक्टर क्या करेगा,? अब हमारा भगवान के पास से बुलावा आ गया है। राजीव कहता है ।आप ऐसा क्यों कह रहे हैं,
मैं किसी और बड़े डॉक्टर को दिखाऊंगा जो आपको बिल्कुल स्वस्थ कर देंगे राजीव की मां बोली मैं भी तो इनसे यही कहती हु, कि शहर राजीव के पास जाकर किसी दूसरे डॉक्टर को दिखा दो किंतु मेरी सुनता कौन है?
राजीव बोला मैं आज ही हवेली जाकर ठाकुर साहब से डॉक्टर का नंबर लेकर आता हूं उसके पिता बोले मैं जैसा हूं ठीक हूं तुम लोग जबरदस्ती जिद मत करो ,,,,
जब भगवान का बुलावा आ जाता है तो डॉक्टर क्या करेगा, राजीव वहां से उठकर हवेली की ओर चल दिया हवेली में सामने ही ठाकुर साहब बैठे थे ।
राजीव को देखते ही चहक कर बोले तुम कब आए शहर से,? राजीव ने प्रणाम किया और कहां आज ही सुबह आया हूं ठाकुर साहब,,,,
और तुम्हारी परीक्षाएं कैसी रही ,ठीक ही रही फिर राजीव ने अपनी नजरें चारों ओर घुमाया कि शायद उसे अवनी कहीं दिखाई पड़ जाए ,,,
लेकिन वह नजर ना आई फिर उसने ठाकुर साहब से कहा कि डॉक्टर का पता पूछने आपके पास आया था बापू की तबीयत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है।
अब तो वे किसी की सुनते भी नहीं इसलिए सोच रहा था जो डॉक्टर साहब शहर से आपके हवेली में आते हैं एक बार हमारे बापू को चेक कर लेते और दवा लिख देते तो बड़ी कृपा होती।
ठाकुर साहब ने राजीव की ओर देखा और कहा मैं उन डॉक्टर साहब से तुम्हारे सामने ही बात कर लेता हूं बताओ कब दिखाना है।
जब डॉक्टर साहब को टाइम मिल जाए मैं हर समय दिखाने को तैयार हूं। ठाकुर साहब ने उठ कर तुरंत ही किसी के मोबाइल पर फोन किया दूसरी तरफ वही डॉक्टर साहब थे हैलो जी डॉक्टर साहब ,,
,वो हमारे माली की तबीयत थोड़ा ज्यादा खराब है ।क्या आप समय निकालकर उसको देखने आएंगे? डॉक्टर ने पूछा कब आना है।
ठाकुर साहब बोले जब आप फ्री हो जाए आ जाइए। राजीव ठाकुर साहब को बहुत-बहुत धन्यवाद बोलता है ।और अपने घर की ओर चलने के लिए उठ खड़ा हुआ। जैसे ही वह हवेली से बाहर निकल रहा था
कि उसको अवनी की आवाज सुनाई देती है। वह ठिठक जाता है।तभी अवनी बैठक में चली आती है। राजीव धीरे से नजर उठा कर उसकी ओर देखता है। ठाकुर साहब पूछते हैं, तुम दोनों एक ही क्लास में पढ़ते हो ,,
अवनी बोली हां बाबा और बैठक से बाहर चली जाती है। राजीव भी ठाकुर साहब को प्रणाम करके अपने घर निकल जाता है।
दूसरे रोज सवेरे ही डॉक्टर साहब हवेली पहुंच गए डॉक्टर साहब को देखकर ठाकुर साहब ने अखंड प्रताप को आवाज दी बोले बेटा डॉक्टर साहब को माली काका के घर पहुंचा दो
उन्हीं को देखने के लिए मैंने इन्हें बुलाया था ।अखंड बोले जी बाबा और डॉक्टर साहब को लेकर माली काका के घर गए केशव एक चारपाई पर लेटा हुआ था।
इतना ज्यादा कमजोर हो गया था कि वह पहचान में ही नहीं आ रहा था तभी अखंड को देखते ही केशव बोला अरे भैया आप अखंड बोले काका बाबा ने डॉक्टर साहब को भेजा है।
आपको जो भी तकलीफ हो आप निसंकोच होकर डॉक्टर साहब को बता दीजिए यह आपको दबा देंगे और आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।
माली काका हड़बड़ा कर उठते हुए,कहते हैं ,कि यह तो ठाकुर साहब का बड़प्पन है, उनकी दयालुता है वरना मुझ जैसे छोटे दर्जे के माली के लिए ठाकुर साहब ने शहर से डॉक्टर बुलवा लिया।
तभी राजीव वहां आ जाता है और अखंड को देखते ही प्रणाम करता है ।डॉक्टर साहब से पूछता है सर, बापूजी ठीक तो हो जाएंगे ना डॉक्टर साहब बोले मैंने चेकअप कर लिया है कुछ दवाइयां दी है।
और कुछ शहर से मंगवाने के लिए लिख दी है आप उन्हें जरूर मंगवा दीजिएगा और समय-समय पर देते रहिएगा वह बिल्कुल ठीक हो जाएंगे।
डॉक्टर साहब की बातें सुनकर राजीव खुश हो गया बोला आपका बहुत-बहुत धन्यवाद डॉक्टर साहब फिर जैसे ही डॉक्टर साहब चलने को तैयार हुए राजीव ने धीरे से दबी जुबान में पूछा ,,,,
डॉक्टर साहब आपकी फीस¡!!!! तभी अखंड प्रताप ने डांटते हुए लहजे में बोला जब बाबा ने भेजा है तो फिर फीस की कोई चिंता ही नहीं ,
तुम बस दवाई खिलाने पर ध्यान दो इतना कहकर अखंड प्रताप डॉक्टर को साथ लेकर वहां से चले गए राजीव मन ही मन ठाकुर साहब को धन्यवाद देता रहा।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउत्तर ॽॽॽ 🙏👍 क्रमशः