जब हमारे साथ कुछ बड़ा होने वाला होता है तो उसकी रूपरेखा पहले से ही निर्धारित हो जाती है। हमारा मन उस अनजाने संकट से भले ही निपटने के लिए तैयार ना रहता हो किंतु कहीं ना कहीं उस संकट को भाप अवश्य लेता है ।
इसी को यदि हम पूर्वानुमान या पूर्वाभास कहें तो अतिशयोक्ति न होगी अवनी का मन भी कुछ इसी तरह सशंकित हो रहा था, आने वाला संकट उसे दिख नहीं रहा था किंतु फिर भी जाने क्यों?
उसके मन में एक बात कांटे की भांति चुभ रही थी कि अखंड भैया अचानक से इतनी सुबह क्यों आए ?कहीं रुद्र भैया ने मुझे और राजीव को साथ तो नहीं देख लिया?
या फिर कोई और बात बड़े तेज कदमों से वह राजीव के कमरे से निकली थी किंतु आगे बढ़ने की उसकी हिम्मत ही नहीं पड़ रही थी थोड़ी दूर जाने के पश्चात वह पलट कर राजीव के कमरे की ओर वापस आ जाती है ,और दरवाजा खटखटाती है।
राजीव जैसे ही दरवाजा खोलता है। अवनी झट से अंदर आकर दरवाजा बंद कर लेती है राजीव ने पूछा क्या हुआ?? तुम वापस क्यों चली आई ?अवनी बोली पता नहीं क्यों मुझे बहुत डर लग रहा है?
जाने क्या होने वाला है,? राजीव ने कहा कुछ नहीं होगा मैं हूं तुम्हारे साथ तुम डरो नहीं, मैं तुम्हें कुछ होने नहीं दूंगा अवनी बोली मुझे अपनी चिंता नहीं है मुझे तो यह लोग कुछ नहीं करेंगे मुझे चिंता सिर्फ तुम्हारी है।।
कि कहीं तुम्हारे साथ कुछ गलत ना हो राजीव बोला अरे! तुम खामखा डरती हो ऐसा कुछ नहीं होगा और यह कहकर राजीव ने अवनी को अपने गले से लगा लिया बहुत देर तक दोनों गले लगे रहे उसके बाद राजीव ने अवनी से कहा अब तुम्हें जाना चाहिए???
नीलम का फोन आए काफी देर हो गई अखंड भैया भी तुम्हारा इंतजार कर रहे होगे अब ज्यादा देर करना उचित नहीं है और अपने मन से यह डर निकाल दो कि कुछ बुरा होगा सकारात्मक सोच होगी तो हमेशा अच्छा ही होगा,,,,
और अगर नकारात्मक सोच होगी तो हमारे साथ अच्छा कैसे होगा? अवनी राजीव से बोली शायद तुम ठीक कह रहे हो, राजीव अवनी के चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर कहता है डरना बिल्कुल भी मत मैं हर कदम पर तुम्हारे साथ हूं ,
ऐसा कहकर राजीव ने अवनी की आंखों में आंखें डालकर कहा अब तुम जाओ अवनी , और पूरे आत्मविश्वास के साथ अखंड भैया के प्रश्नों का जवाब देना अवनी हां कहकर तेज कदमों से हॉस्टल की ओर बढ़ जाती है ।
हॉस्टल पहुंचकर अवनी सीधे स्टाफ रूम में जाती है सामने अखंड प्रताप को देखकर थोड़ा सकपकाते हुए कहती है अरे ,इतनी सुबह सुबह भैया आप ???
अखंड प्रताप बोले हां तुमको और रूद्र को लेकर हवेली जाना है बाबा ने पूजा रखवायी है जिसमें हम तीनो भाई बहनों का रहना जरूरी है मैंने नीलम से सामान रखने के लिए बोल दिया है वह भी तुम्हारे साथ चलेगी???
अवनी खुश होते हुए कहती है ठीक है । भैया मैं बस दोमिनट में तैयार होकर आती हूं तभी अखंड प्रताप कहते हैं तुम्हारी किस चीज की क्लास थी ,अवनी को नीलम ने पहले ही बता रखा था।
नीलम के बताए गए शब्दों को अवनी हूबहू बोल देती है अखंड प्रताप दोनों की बात समान होने के कारण कुछ नहीं कहते अवनी अखंड प्रताप की बातों का जवाब देकर अपने कमरे की ओर से चली जाती है वहां नीलम पहले से ही दरवाजे के पास टहलती रहती है ।
अवनी को देखते ही नीलम पूछती है मैंने जैसा कहा था वैसा ही तुमने जवाब दिया ना अवनी बोली हां तुमने जैसा कहा था मैंने वैसे ही अखंड भैया को बता दिया वैसे भैया को कोई शक नहीं हुआ?
अगर उन्हें कोई शक हुआ होता तो मैं उनके चेहरे से समझ जाती नीलम बोली यह तो अच्छी बात है अब चलो फटाफट अपने कपड़े रख लो मैंने तो अपनी पैकिंग कर ली है।
अवनी बोली वैसे हमें घर कितने दिन के लिए जाना है। नीलम ने कहा मेरी तो डर के मारे अखंड भैया से पूछने की हिम्मत ही नहीं पड़ी मैंने बस दो तीन जोड़ी कपड़े डाले है ।
अब मैं भी ऐसे ही डाल देती हूं क्योंकि एग्जाम नजदीक आने वाला है ज्यादा दिन तक तो हवेली में रह नहीं सकते पूजा के बाद हम दोनों चले आएंगे अपना सामान अवनी जल्दी जल्दी रखने लगती है ।
तभी अखंड प्रताप रूद्र प्रताप को फोन करते हैं और कहते हैं मैं तुम्हें लेने आ रहा हूं रूद्र प्रताप ने कहा कि मुझे अवनी को अखंड प्रताप बोले बाबा ने छोटी सी पूजा घर में रखवायी है।
और मुझसे कहा है कि मैं अवनी और तुमको दोनों को लेकर आऊं क्यों कि उस पूजा में हम तीनों भाई बहनों का होना जरूरी है??
यह कहकर अखंड प्रताप फोन रख देते हैं,, तभी कुछ देर के पश्चात अवनी और नीलम दोनों स्टाफ रूम में पहुंच जाती हैं अखंड प्रताप उठकर चल देते हैं। अवनी और नीलम उनके पीछे-पीछे जाकर गाड़ी में बैठ जाती हैं ।
तभी अखंड प्रताप गाड़ी में बैठ जाते हैं थोड़ी दूर चलने के बाद रास्ते में अवनी ने देखा रूद्र प्रताप एक बैग कंधे पर टांगे खड़े रहते हैं जैसे ही अखंड प्रताप की गाड़ी समीप आती है रुद्र प्रताप हाथ देते हैं गाड़ी रुक जाती है।
और रुद्र प्रताप गाड़ी में जाकर बैठ जाते हैं, कुछ देर तक गाड़ी में एकदम सन्नाटा पसरा रहता है ऐसा लगता है मानो जैसे कुछ हो गया हो किसी से किसी की कुछ बोलने की हिम्मत नहीं ही पड़ती ।
थोड़ी दूर गाड़ी जाने के बाद नीलम ने अखंड से पूछा भैया कितने दिन की पूजा है मैं जल्दी हॉस्टल वापस तो आ पाऊंगी न क्योंकि इग्जाम सिर पर है और हम लोगों को पढ़ाई भी करनी है,।
अखंड प्रताप बोली अरे !चिंता मत करो पूजा के बाद मैं खुद तुम लोगों को वापस हॉस्टल छोड़ दूंगा नीलम बोली तब तो ठीक है भैया,
अवनी बार-बार रुद्र प्रताप से बोलना चाह रही थी लेकिन उस दिन के बाद से अवनी का मन पता नहीं क्यों रूद्र प्रताप के प्रति खराब हो गया वह चाहकर भी रूद्र प्रताप को माफ नहीं कर पा रही थी।
क्योंकि जब रुद्र से इस बात की माफी के विषय में सोचती थी तो उसका वही चेहरा राजीव को मारते हुए याद आ जाता था, इसी कारण अवनी पूरी रास्ते ज्यादातर चुप ही बैठी थी।
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