जब व्यक्ति बहुत दुखी होता है तो वह किसी चीज की परवाह नहीं करता ,दुखी व्यक्ति के लिए समाज परिवार मान मर्यादा किसी चीज की कोई अहमियत नहीं रह जाती।
क्योंकि उसका दुख उसे इन सब चीजों की तरफ ध्यान देने का अवसर ही नहीं प्रदान करता ऐसा ज्यादातर तब होता है जब वह किसी अपने से दूर हो जाता है ।
जिसे वह अपने दिलो जान से चाहता है ।शायद इसीलिए राजीव अपने बापू को खोकर बहुत ही ज्यादा दुखी रहता है उसे ना तो ठाकुर साहब की बातें समझ आती हैं ना ठकुराइन के द्वारा कही गई। उलाहना ,,,,
उसे तो इस समय अवनी की भी उतनी परवाह नहीं रहती हां यह सच था कि वह अवनी से बेहद प्यार करता था ,किंतु अवनी यदि उसके सामने होती तो शायद उसे एक सहारा मिलता।
लेकिन उसके बापू उसके सामने नहीं थे , और अब वह अपने बापू को कभी नहीं पा पाएगा उस दुख की जो तड़प होती है वही व्यक्ति समझ सकता है जिसके साथ ऐसा होता है, इसलिए राजीव चाह कर भी अवनी को फोन नहीं करता।
उधरअवनी राजीव से बेहद नाराज हो जाती है उसे लगता है कि राजीव ने उसकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई और उसे सम्मान नहीं दिया उसने इतनी बार राजीव को फोन किया ना तो उसने उत्तर दिया और ना ही एक मैसेज किया
, तभी नीलम कहती है अवनी तेरा ध्यान कहां है आज क्लास करने नहीं चलना है क्या ॽवैसे भी आज तू बहुत लेट हो गई अवनी घबराकर उठती है ,
और फटाफट तैयार होने चली जाती है,आज उसको ऐसा लग रहा था जैसे जाने कोई चीज उससे छीन ली गई हो कुछ खालीपन कुछ अधूरापन जो वह महसूस कर रही थी।
वह चाह कर भी नीलम को नहीं बता पा रही थी क्योंकि अवनी राजीव से बेहद प्यार करती थी, तो जब राजीव दुख और दर्द से कराह रहा था ,
उसका मन तड़प रहा था तो अवनी कैसे सुखी रह सकती थी?।, हमारे दिलों की तार किसी के दिलों के तार से जुड़ते हैं तो उसमें एक अजीब सी तारतम्यता होती है
जिसमें वह व्यक्ति उस व्यक्ति की धड़कनों को साफ स्पष्ट सुन सकता है ,उसके दर्द को महसूस कर सकता हैं और वह हमारे दर्द को भी कुछ ऐसी स्थिति में अवनी का प्रेम पहुंच चुका था
, जिसमें उसमें राजीव का दर्द तो महसूस हो रहा था, लेकिन उसे यह पता नहीं था कि राजीव क्यों परेशान है ?राजीव ने यह बात बताई भी नहीं हनी और नीलम कॉलेज निकल जाती हैं।
अवनी देखती है आज भी राजीव क्लास करने नहीं आता वह कुछ बोलती नहीं और अपनी सीट पर जाकर बैठ जाती हैं, अवनी को इस तरह चुपचाप मौन देख नीलम कहती है।
क्या हुआ अवनी तुम्हें ,?अवनी ने कहा कुछ तो नहीं नीलम बोली तुम्हारे चेहरे से तो साफ स्पष्ट हो रहा है कि तुम्हारा शरीर यहां जरूर है।
लेकिन मन तुम्हारा कहीं और है ??अवनी ने कहा मेरा मन कहीं और क्यों होने लगा, क्या किसी को मेरी परवाह है जो मुझे भी किसी की परवाह हो,,
नीलम बोली यह तुम किसको बता रही हूं अपने आप को, तुम्हारे चेहरे से तुम्हारे दिल का हाल साफ बयां हो रहा है तुम क्या छुपाने की कोशिश कर रही हूं
क्या मुझे नहीं पता कि तुम राजीव के बिना कितना अकेलापन महसूस कर रही हो और तुम्हारी तो राजीव से फोन पर ठीक से बात भी नहीं हुई अवनी कुछ नहीं बोलती वह एक टक नीलम की ओर देखती रहती है।
धीरे-धीरे आठ दिन बीत जाते हैं। इन आठ दिनों में राजीव ने कई बार नीलम के फोन पर अवनी से बात करने की कोशिश की लेकिन अवनी ने बात नहीं की,,
राजीव समझ ही नहीं पा रहा था कि अवनी ऐसा क्यों कर रही है ?क्योंकि उसे तो यही लग रहा था कि मेरे बापू के खत्म होने वाली बात तो अवनी को जरूर पता होगी।
अवनी रह तो नहीं पा रही थी किंतु उसके मन में इतना ज्यादा गुस्सा था कि वह राजीव का फोन उठाती उसकी आवाज सुनती फिर फोन काट देती ऐसा करने से राजीव का दिमाग काम करना बंद कर देता ,
किंतु अपने पिता के सारे क्रिया कर्म इत्यादि को समाप्त कर राजीव आज शहर लौटा, अपने लांज के कमरे में मयंक के साथ राजीव बैठा रहता है।
मयंक उसको बहुत समझाता है किंतु राजीव को रह-रहकर अपने ऊपर पड़ने वाले जिम्मेदारियों का आभास होने लगता है राजीव कहता है।
की अम्मा को अकेले गांव में छोड़ा भी नहीं जा सकता बापू थे तो बात और थी ,और यहां भी नहीं लाया जा सकता? क्या पता मुझे बीच में पढ़ाई छोड़नी हीं पढ़े ,,,,
मयंक उसको समझाता है, कि कुछ दिनो के बाद धीरे-धीरे परिस्थितियां सुधर जाएंगी बस तुम कुछ दिन धैर्य रखो राजीव ने कहा कैसे सुधरेगी ??
सुधारना तो मुझे ही पड़ेगा मयंक ने कहा अब तुम क्या करोगे? ट्यूशन तो तुम वैसे भी पढ़ाते हो ?तुम्हें पढ़ने का समय ही कितना मिलता है ?
राजीव ने कहा ट्यूशन से सिर्फ मेरा खर्चा निकल सकता है, किंतु मेरी मां का नहीं मयंक ने कहा तुम्हारी मां हवेली में जाकर तुम्हारी पिता की जगह काम भी तो कर सकती है।
राजीव ने कहा वह उनकी इच्छा है। मैं उन्हें यह कह नहीं सकता कि मैं आपका खर्चा उठा नहीं पाऊंगा ,मरते वक्त बापू ने मां की जिम्मेदारी मेरे ऊपर दी है ।
मैं उसे किसी भी तरह निभा लूंगा, मयंक ने कहा तुम्हारे बाबू के अंतिम संस्कार के समय ठाकुर साहब ने मदद की?? राजीव ने कहा हां उन्होंने किया किंतु, आजकल वह मुझसे कुछ नाराज है।
मयंक ने कहा उनका नाराज होना स्वाभाविक है। तभी राजीव ने मयंक से पूछा क्या मेरे जाने के बाद अवनी यहां आयी थी?
मयंक बोला नहीं तो, अगर वो आयी होती तो मुझसे मिलकर ही जाती मयंक ने कहा तेरी उससे बात नहीं हुई क्या ॽराजीव ने कहा पता नहीं क्यों वह मुझसे नाराज़ हो गई है।
मयंक ने कहा इस समय ,जब तुझे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। यह हवेली वाले होते ही ऐसे हैं। जब अपनी गरज निकल गई तो नाराज होकर बैठ गई, ?उसी के चक्कर में तो तू महीनों बिस्तर पर पड़ा रहा कितना मारा उसके भाई ने तुम्हें वैसे मैडम नाराज किस बात से है।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहें प्रतिउत्तर ॽॽॽ 🙏 क्रमशः।।।।