आकर्षण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में एक उम्र का सबसे खूबसूरत एहसास होता है, जो होता सबके साथ है ,कुछ रुक कर उस एहसास को जीने लगते हैं ।
,और कुछ आगे बढ़ जाते हैं। आज सुबह से ही ठकुराइन बिस्तर से उठी ही नहीं हर कोई परेशान था कि ठकुराइन को क्या हुआ ॽ
क्योंकि भोर होते ही कुल देवी के मंदिर में बिना नागा जाड़ा, गर्मी ,बरसात कुछ भी हो, उनका नियम कभी नहीं टूटा फिर आज ऐसा क्या हो गया कि वह बिस्तर से उठी ही नहीं,
अखंड और रुद्र तो दो बार मां के कमरे में जाकर उनको सोते देख झांक कर चले आए ,अवनी भी मां के पास गई और जाकर माथे पर हाथ रखा ,पूछा मां क्या हुआ माथा तो आपका ठंडा है।
इस पर कराहते हुए ठकुराइन बोली सिर में बहुत तेज दर्द है ,और पता नहीं क्यों पेट भी बहुत दुख रहा है।
और धीरे धीरे कराहने लगी उनको कराहता देख अवनी बोली मां मैं भैया को आवाज देती हूं ।वह डॉक्टर को फोन कर देंगे डॉक्टर साहब आ जाएंगे तो सब ठीक हो जाएगा।
अवनी भैया ,भैया आवाज देती है। अवनी की आवाज सुनकर ठाकुर साहब रुद्र और अखंड तीनों दौड़ कर आते हैं ।अवनी बोली मां की तबीयत ठीक नहीं है।
,डॉक्टर साहब को फोन कर दीजिए ठाकुर साहब बोले क्या हुआ हैॽ तुम्हारी मां को अवनी कहती है बाबा मां के सिर और पेट में बहुत तेज दर्द है।
अखंड प्रताप बोले फोन क्या करना मैं डॉक्टर साहब को लेकर ही आता हूं और तुरंत बाहर निकल जाते हैं। अवनी मां के पास बैठी रहती है ।
थोड़ी देर बाद डॉक्टर साहब आते हैं, और ठकुराइन को देखते हैं । दवा देकर डॉक्टर साहब चले जाते हैं। तभी ठकुराइन ठाकुर साहब से कहती हैं ।
।मेहमानों वाला कमरा साफ करा दीजिए कल रेहान आने वाला है। ,ठाकुर साहब बोले तुम अपनी तबीयत पर ध्यान दो चिंता मत करो मैंने साफ करा दिया,
ठकुराइन बोली ज्यादातर वह विदेशों में रहा है ।इसलिए उसका कमरा थोड़ा खास ही होना चाहिए, तभी रुद्र प्रताप मां के पास आते हैं और कहते हैं ।
मां कल मुझे कॉलेज के लिए निकालना पड़ेगा, लेकिन आपकी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए मैं कल नहीं जाऊंगा मां बोली नहीं बेटा तू कल चला जा अवनी भी नहीं जा रही है,।
कम से कम तू तो चला जा, अवनी मां की तरफ देखती है, पर कुछ बोल नहीं पाती, मां कुछ सोच कर अवनी की तरफ देखते हुए कहती है तुम्हें जाना हो तो तुम भी चली जाओ।
अवनी। बोली नहीं मां आपकी तबीयत जब ठीक हो जाएगी तब मैं चली जाऊंगी ठकुराइन मन ही मन बड़ी प्रसन्न होती हैं।
,वह समझ जाती है कि अवनी बिचारी तो कुछ समझ ही नहीं पाई ठकुराइन की कोई तबीयत खराब नहीं थी यह तो सिर्फ अवनी को हफ्ते भर रोकने के लिए एक नाटक कर रही थी।
डॉक्टर साहब के जाने के बाद ठकुराइन ने सारी दवाइयों का पैकेट अपने गद्दे के नीचे रख लिया और धीरे से उठी और नहाने चली गई।
रुद्र अपना सामान रखने लगा अवनी सोचने लगी अगर मां की तबीयत ठीक होती तो कल मैं भी चली जाती किंतु मां की तबीयत के कारण मुझे हफ्ते भर रुकना पड़ेगा।
हो सकता है, आज या कल राजीव भी चला जाए, अवनी को तो अब शाम होने का इंतजार था क्योंकि शाम को राजीव बगीचे में आने वाला था,
शाम का समय अवनी बगीचे में इधर उधर टहल रही थी तभी सामने से उसे राजीव आता दिखाई दिया, राजीव को देखकर अवनी का चेहरा खिल उठा राजीव ने नजर उठाकर देखा तो सामने अवनी को खड़ी पाकर उसके होठों पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है।
, उसको मुस्कुराते देखकर अवनी थोड़ा पास जाकर पूछती है, क्या हुआ ?राजीव कुछ बोलता नहीं बस नजर उठा कर अवनी की ओर देखता है।
दोनों की नजर आपस में मिल जाती हैं तभी पीछे सेआवाज आती है। राजीव भैया आपको ठकुराइन ने बुलाया है, राजीव घबरा जाता है ।
वह सोचता है ठकुराइन ने इस समय क्यों बुलाया, वह बोला आता हूं, तभी अवनी के समीप से जाते हुए राजीव बोला कल कॉलेज तो चलेंगी उसकी हिम्मत देखकर अवनी कुछ बोल नहीं पाई
तब तक राजीव अंदर ठकुराइन के पास पहुंच गया ठकुराइन ने राजीव से कहा कल हमारी हवेली में मेहमान आने वाले हैं। और कल तुम हो सकता है कॉलेज चले जाओ राजीव ने कहा जी ठकुराइन तो फिर तुम किसी को बगीचे के काम के लिए सहेज के जाना क्योंकि तुम्हारे बापू की तबीयत सुधारने में अभी टाइम लगेगा और बगीचे में रोज सफाई होना जरूरी है। वरना बहुत मच्छर आ जाते हैं, राजीव बोला आप चिंता ना करें आज ही रात को मैं लखन चाचा को सहेज दूंगा मेरे बापू की तबीयत ठीक होने तक लखन चाचा ही बगीचे की देखरेख करेंगे, उधर राजीव को मां के पास बहुत देर तक रहने के कारण अवनी थोड़ा परेशान हो जाती है। राजीव जैसे ही बाहर निकलता है अवनी इशारों में उससे पूछती है राजीव इशरों में कहता है सब ठीक है। और दोनों आंखों आंखों में ही मुस्कुरा देते हैं, राजीव थोड़ा बहुत पौधों को पानी देकर लखन चाचा से हवेली में काम करने के लिए कहने के लिए चल देता है, उसके जाने के बाद अवनी अपनी मां के पास आती है और पूछती है अब आपकी तबीयत कैसी है उसे लगता है अगर मां की तबीयत अब तक ठीक हो गई तो वह कल ही कॉलेज के लिए निकल जाएगी किंतु ठीक तो तब होती ना मां की तबीयत खराब होती मां की तबीयत तो ठीक ही थी वह तो अवनी को रोकने के लिए ठकुराइन एक चाल चली थी मुंह बनाकर बोली अभी बिल्कुल आराम नहीं है। अवनी मां के सिर को सहलाने लगती है। दूसरे दिन हवेली में सुबह-सुबह अखंड प्रताप जीप लेकर रेहान के साथ आते हैं ।रेहान एक गोरा चिट्टा खूबसूरत सा मॉडर्न लड़का जो शुरू से ही विदेशों में रहने के कारण पाश्चात्य रंग में रंगा हुआ था हवेली में आते ही , सब उसके स्वागत की तैयारियों में जुट जाते हैं। ठकुराइन ने तो अनेक तरह के नाश्ते बनवाए थे, सब लोग डाइनिंग टेबल पर इकट्ठे होते हैं। पहली बार अवनी को देखकर रेहान उसके पास जाकर उससे कहता है hi Avni you are a very beautiful, यह सुनकर सब उसकी ओर देखते रह जाते हैं अवनी को भी थोड़ा अजीब लगता है किंतु सबको चुप देखकर वह कुछ नहीं कहती बस मुस्कुरा कर कहती है , thank you,, दिखने में तो रेहान बहुत ही आकर्षक था किंतु उसका स्वभाव बहुत ही गुस्सैल था, कब किस बात पर वह गुस्सा हो जाए किसी को समझ ही नहीं आता था नाश्ता लगा हुआ था ,गोपाल सबको नाश्ता परोस रहा था, तभी गोपाल के हाथ से रेहान का हाथ छू जाता है, वह गुस्से से आगबबूला हो जाता है और उठ कर गोपाल को एक चांटा खींच कर देता है और कहता है, पहली चीज तो तुमने कोई ग्लब्ज नहीं पहन रखे हैं अपने गंदे हाथों से परोस रहे हो और दूसरे अपने गंदे पसीने वाले हाथ से तुमने मुझे टच किया गोपाल कहां साहब गलती हो गई ,गलती से छू गया हमारा हाथ आपके हाथ से ,इस पर रेहान मैं उसका कॉलर पकड़कर उसको एकदम ऊपर उठा दिया और कहा मुझसे बहस करते हो, तुम्हें पता नहीं मैं कौन हूं ॽतभी अखंड दौड़ कर रेहान से गोपाल को छुड़ाते हैं अरे हम कहते हैं जाने दो यार गलती हो गई उससे हम उसे समझा देंगे रेहान गुस्से से कांप रहा था उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था उसकी यह सूरत देखकर अवनी अंदर से थोड़ा डर जाती है, सब ने नाश्ता किया नाश्ता करने के बाद अवनी बगीचे में बैठी रहती है रेहान भी वहां आ जाता है बगीचे में उसके बगल एकदम सट कर बैठ जाता है ।और अपना हाथ उसके कंधे पर रख देता है अवनी को यह तरीका बिल्कुल पसंद नहीं आता उसका हाथ हटाने की कोशिश करती है लेकिन वह पूरे वजन के साथ अपना हाथ उसके कंधे पर रखे रहता है। अवनी गुस्से से उसकी ओर देखती है ।तो वह हंसते हुए कहता है यू आर अ वेरी ब्यूटीफुल, अवनी ने यह नोटिस किया कि वह बात बात पर उसको छूने की कोशिश करता ,और जब वह गुस्सा हो जाती या इसका विरोध करती तो हंस के बातों को टाल देता अवनी ने यह बात अपनी मां को बताई उसकी मां ने कहा बेटा विदेशों में पले बढ़े होने के कारण थोड़ा खुले विचारों का है ।फिर उससे तो तुम्हारा विवाह होने ही वाला है क्योंकि मुझे बहुत पसंद है, हां थोड़ा गुस्सैल स्वभाव का है लेकिन गुस्सा तो ठाकुरों की शान है तो उसके थोड़ा बहुत छूने में हर्ज क्या है , अवनी समझ चुकी थी कि मां ने तो उसको इस घर का जमाई मान लिया था। लेकिन अवनी के दिमाग में तो चौबीस घंटे राजीव ही रहता है, फिर वह भला किसी को क्यों बर्दाश्त करती है l
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउत्तर ॽॽॽ क्रमशः